बरेली: दीपावली पर सोती रही पुलिस, जागते रहे जुआरी
बरेली,अमृत विचार। दीवाली के पर्व पर जुआ न हो ऐसा कभी नहीं हुआ। इस बार भी शहर से लेकर देहात तक जमकर जुआ खेला गया। शहर की संकरी गलियों से लेकर बाग में जुआ खेलने का दौर चलता रहा। लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। शहर भर के नौ थानों में जुआ पकड़ने …
बरेली,अमृत विचार। दीवाली के पर्व पर जुआ न हो ऐसा कभी नहीं हुआ। इस बार भी शहर से लेकर देहात तक जमकर जुआ खेला गया। शहर की संकरी गलियों से लेकर बाग में जुआ खेलने का दौर चलता रहा। लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। शहर भर के नौ थानों में जुआ पकड़ने की एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है। इस घटना को लेकर बरेली पुलिस खासा चर्चा में बनी हुई है। चर्चाओं का बाजार इसलिए गरम है क्योंकि हर दीपावली पर पुलिस बड़े पैमाने पर जुआरियों की गिरफ्तारी के मामले दर्ज होते आए हैं। लेकिन इस वर्ष की दीपावली के मौके पर पुलिस के रिकॉर्ड में जुए के मुकदमें दर्ज नहीं हुए, या फिर यूं कहें कि बिन जुआरियों के इस बार सभी थाने सूने रहे।
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दो साल से जुआरी कर रहे थे जुए का इंतजार
बता दें कि बीते 2 वर्ष में कोरोना वायरस की वजह से दीपावली का त्योहार नहीं मनाया गया था। इसके साथ ही संक्रमण के डर की वजह से जुआरी जुआ खेलने से बच रहे थे। हालांकि बीते वर्ष दीपावली पर शहर में कई जगह कुछ लोग पकड़े गए थे। लेकिन इस बार दीपावली का जुआरी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पूरे शहर भर में लाखों का नहीं बल्कि करोड़ों का जुआ हुआ है। बावजूद इसके शहर भर की पुलिस एक भी जुआरी को नहीं पकड़ पाई है।
रात भर जुआ हुआ मुखबिर तंत्र फेल हुआ
शहर भर में ही नहीं पूरे देहात क्षेत्र में जमकर जुआ खेला गया। कई जगह जुए के फड़ सजे। लेकिन पुलिस एक भी जुआ नहीं पकड़ पाई। यह भी कहा जा सकता है कि पुलिस को जुए की भनक तक नहीं लग सकी। क्योंकि पुलिस का मुखबिर तंत्र पूरी तरह से टूट चुका है। यही वजह है कि शहर में होने वाली अपराधिक घटनाओं का खुलासा करने में पुलिस को एड़ी से चोटी तक का जोर लगाना पड़ता है।
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