बरेली: वायरल पर्चे ने महंगी कर दीं छह दवाएं, स्टॉक हुआ खत्म
बरेली,अमृत विचार। करीब एक महीने पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुए पर्चे ने छह दवाएं महंगी कर दीं। महंगी होने के बावजूद दवाओं का स्टॉक भी खत्म हो गया। बाजार में दवा दुकानों पर ये दवाएं ब्लैक में भी नहीं मिल रही हैं। हालांकि, कई दुकानदार कई गुना अधिक दाम वसूल रहे हैं। वायरल पर्चे …
बरेली,अमृत विचार। करीब एक महीने पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुए पर्चे ने छह दवाएं महंगी कर दीं। महंगी होने के बावजूद दवाओं का स्टॉक भी खत्म हो गया। बाजार में दवा दुकानों पर ये दवाएं ब्लैक में भी नहीं मिल रही हैं। हालांकि, कई दुकानदार कई गुना अधिक दाम वसूल रहे हैं। वायरल पर्चे में जो लिखा था, उसे लोगों ने सच मान लिया। यही वजह रही कि दवाओं की मांग अधिक होने से दुकानदारों ने महंगी कर दीं।
उस पर्चे पर जिन छह दवाओं का नाम लिखा था, उनसे कोरोना संक्रमित मरीज ठीक करने का दावा किया गया था। कोविड-19 संक्रमण के फैलने के दौरान यह पोस्ट वायरल हुई तो लोग उसमें लिखी दवाओं को लेने के लिए दवा दुकानों पर ज्यादा पहुंचे।
कोरोना महामारी से पूरा विश्व चपेट में है। बरेली में भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। मेदांता अस्पताल के एक चिकित्सक द्वारा उस पर्चे पर लिखी गई दवाओं से दावा किया था कि इन दवाईयों से कोविड के मरीजों को स्वस्थ किया जा रहा है। कई दिनों तक पर्चा सोशल मीडिया पर घूमता रहा। बाद में इसे टेक्स्ट फार्म में वायरल किया गया। पर्चे में प्रमुख रूप से एंटी वायरल, एंटीबायोटिक के अलावा विटामिन सी और डी के कैप्सूल लिखे हुए थे। कुछ अन्य दवाएं भी लिखी थीं। ये दवाईयां सर्दी, जुकाम और खांसी से संबंधित हैं।
पर्चा फर्जी था, दावा हुआ फेल
यह संदेश थोक दवा व्यापारियों के मोबाइल पर भी आया। तब डिमांड के कारण का पता चला। व्यापारियों ने मेदांता के चिकित्सक से संपर्क किया, जिनके नाम का इस्तेमाल संदेश में किया जा रहा था। चिकित्सकों ने साफ इंकार किया कि उन्होंने ऐसा कोई पर्चा नहीं बनाया है। मरीजों का उपचार सिस्टमेटिक होता है, लक्षण देखकर ही दवाएं दी जाती हैं। कोई पहले से तय फार्मूला नहीं है। वह अपने अस्पताल का उपचार क्यों लीक करेंगे। यह सिद्ध हुआ कि पर्चा और संदेश पूरी तरह से फर्जी है। वहीं, चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक यह संबंधित दवाईयां बनाने वाली फार्मा कंपनियों की चाल है। उन्होंने मेडिकल री-प्रिजेंटेटिव (एमआर) के जरिए कुशलता से पोस्ट बनवाई हो और वायरल की हो।
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला इंजेक्शन भी बाजार से गायब
बाजार में एक्टेरमा इंजेक्शन की भी बहुत मांग है। यह इंजेक्शन बाजार में 23 से 28 हजार रुपए में मिलता है। इसे पावर बूस्टर कहते हैं। यह कम समय में प्रतिरोधक क्षमता को कई गुना बढ़ाता है। यह भी बाजार से गायब हो गया है। कुछ दुकानों पर दोगुने दामों में मिल रहा है।
ये दवाएं बाजार में नहीं मिल रहीं
पेंटा प्रोजोल – 40 एमजी
लिक्सी विटामिन सी
पैरासीटामोल- 650 एमजी
एजीथ्रोमाइसिन- 500 एमजी
जिन्कोविड मल्टी विटामिन
विटामन डी के कैप्सूल
“फर्जी मैसेज वायरल होने के बाद कुछ दवाओं की कमी हुई है। फुटकर व्यापारियों से इन दवाओं की मांग ज्यादा आ रही है। यह दवा कंपनियों और एमआर की मोनोपाली हो सकती है। लोगों को सावधान रहने की जरूरत है।” -दुर्गेश खटवानी, अध्यक्ष, नगर कैमिस्ट एसोसिएशन
“कोरोना की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए चिकित्सक से सलाह लेकर ही दवा का सेवन करें। कोरोना अस्पताल में मरीजों की हिस्ट्री, मौजूदा लक्षणों को देखने के बाद दवाएं दी जाती हैं। कुछ मामलों में कई विभागों के चिकित्सकों से सलाह के बाद ही उपचार तय किया जाता है। खुद दवाएं लेना खतरनाक हो सकता है।”
-डा.बागीश वैश्य, फिजिशियन, जिला अस्पताल