शरद पूर्णिमा पर बन रहा अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें पूजा विधि और अमृत वाली खीर का महत्व

शरद पूर्णिमा पर बन रहा अमृत और सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें पूजा विधि और अमृत वाली खीर का महत्व

हल्द्वानी, अमृत विचार। रविवार को शरद पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं जिसके उच्चारण से ही शरद ऋतु के आगमन का स‍ंकेत मिलता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन चंद्रदेव 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। …

हल्द्वानी, अमृत विचार। रविवार को शरद पूर्णिमा का उपवास रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहते हैं जिसके उच्चारण से ही शरद ऋतु के आगमन का स‍ंकेत मिलता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि धार्मिक मान्यतानुसार, इस दिन चंद्रदेव 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं। उपनिषदों के अनुसार, 16 कलाओं से युक्त व्यक्ति ईश्वर तुल्य होता है। जो व्यक्ति मन और मस्तिष्क से अलग रह कर बोध करने लगता है वही 16 कलाओं में गति कर सकता है। चंद्रमा की सोलह कलाएं- अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण, पूर्णामृत व स्वरूपवस्थित हैं।

जानी मानी ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी।

शरद पूर्णिमा को समुद्र मंथन से श्री महालक्ष्मी और अमृत कलश, शरद धन्वंतरी देवता प्रकट हुए थे। मां लक्ष्मी के प्राकट्य के उपरांत उनका भगवान श्री विष्णु से पुनः विवाह हुआ था। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। ( कोजागर = को + ओज + आगर। इस दिन चंद्रकिरणों द्वारा सबको आत्मशक्तिरूपी (ओज) आनंद, आत्मानंद, ब्रह्मानंद (क = ब्रह्मानंद) जी भर मिलता है)। हिन्दू धर्मानुसार शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक प्रतिदिन सायंकाल आकाशदीप प्रज्वलित करने का प्रचलन है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा से आकाशदीप जलाने व दीपदान करने से दुख, दारिद्र दूर होते हैं।

शरद पूर्णिमा पर शुभ योग
शरद पूर्णिमा पर ध्रुव योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि जैसे विशेष योग बन रहे हैं।

तिथि और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ 9 अक्टूबर 2022 दिन रविवार प्रातः 3:44 से 9/10 अक्टूबर 2022 रात्रि 2:26 तक। अभिजीत मुहूर्त 9 अक्टूबर 11:44 से अपराह्न 12:30 बजे।

पूजा विधि एवं उपाय
ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि नित्य कर्म से निवृत्त होकर घर को स्वच्छ करने के उपरांत घर में गंगाजल का छिड़काव करें व गंगाजल से स्नान करें। शरद पूर्णिमा पर नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। उपवास का संकल्प लें। पूजा गृह में दीप प्रज्वलित करें। चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, भेंट अर्पित करें। अखंड ज्योति जलाएं। भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, श्रीकृष्ण मधुराष्टकम का पाठ भी कर सकते हैं। सत्यनारायण की कथा पढ़ें। इसके अतिरिक्त जिन जातकों का चंद्रमा क्षीण हो, कमजोर स्थिति में हो या फिर नीच का हो ऐसे जातक ॐ चं चंद्रमस्यै नम:। दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम। नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं। मंत्र का जाप करेंगे तो लाभ होगा। जिन जातकों को धन से संबंधित परेशानी हो वह देवी लक्ष्मी के इस मंत्र का जप करें-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।

शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा तिथि पर चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में खुले आसमान के नीचे रखकर अगले दिन प्रात काल प्रसाद रूप में ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है क्यों कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणें विशेष गुणकारी व औषधियुक्त होती है।
सफल दाम्पत्य जीवन के लिए पूर्णिमा को पति-पत्नी को चंद्रदेव को दूध का अर्ध्य देना चाहिए। इससे दाम्पत्य जीवन में मधुरता बनी रहती है।
जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा राहु, केतु या शनि से पीड़ित (ग्रहण) हो ऐसे जातकों को पूर्णिमा पर सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए जैसे दूध, दही, घी, चीनी, चावल, सफेद वस्त्र, भेंट आदि।
जिन जातकों को सांस (अस्थमा) से संबंधित परेशानी हो ऐसे जातकों को शरद पूर्णिमा रात में खुले आसमान के नीचे बैठने से लाभ होता है।
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था, इस दिन रात्रि में जागरण करने और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा भी कहते हैं, जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा हो वह यदि शरद पूर्णिमा का उपवास रखें तो विवाह शीघ्र संपन्न होगा।

 

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का वैज्ञानिक कारण
ज्योतिषाचार्य डॉ. मंजू जोशी बताती हैं कि वैज्ञानिकों के मतानुसार शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। जिस कारण इसकी किरणों में कई लवण और विटामिन आ जाते हैं। वहीं, पृथ्वी से नजदीक होने के कारण ही खाद्य पदार्थ इसकी चांदनी को अवशोषित करते हैं। और लवण और विटामिन से संपूर्ण ये किरणें हर खाद्य पदार्थ को स्वास्थ्यवर्धक बनाती हैं। दूध में लैक्टिक एसिड और अमृत तत्व होता है और चांद की किरणों से ये तत्व अधिक मात्रा में शक्ति का समावेश करता है। चावल में स्टार्च इस प्रक्रिया को आसान बना देता है। चांदी के बर्तन में एंटी-बैक्टेरियल तत्व होते हैं जो भोजन को पौष्टिकता प्रदान करने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

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