बरेली: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की अपील- डीजे, गाना-बजाना, थिरकना जुलूस-ए-मोहम्मदी में नाजायज, सर तन से जुदा का नारा न लगाएं नौजवान
बरेली, अमृत विचार। पैगंबर इस्लाम के जन्मदिन के मौके पर पूरे भारत में ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ बड़ी शान व शौकत के साथ निकाला जाता है। इस साल 9 अक्टूबर को ये जुलूस पूरे देश भर में निकाला जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बयान जारी कर कहा कि मुस्लिम कौम …
बरेली, अमृत विचार। पैगंबर इस्लाम के जन्मदिन के मौके पर पूरे भारत में ‘जुलूस-ए-मोहम्मदी’ बड़ी शान व शौकत के साथ निकाला जाता है। इस साल 9 अक्टूबर को ये जुलूस पूरे देश भर में निकाला जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बयान जारी कर कहा कि मुस्लिम कौम के नौजवानो से अपील है कि पाकिस्तान से प्रमोट हो कर भारत में आया नारा ‘सर तन से जुदा…सर तन से जुदा’ मुस्लिम नौजवान जुलूस-ए-मोहम्मदी में न लगाएं। इस नारे की जगह हमारे बुजुर्गों द्वारा दिया गया नारा ‘प्यारे नबी की है ये शान बच्चा बच्चा है कुर्बान’ लगाएं। ये हिंदुस्तानी नारा है। इस नारे में नबी के साथ बेपनाह मोहब्बत का इजहार होता है और साथ ही इस नारे से किसी भारतीय के लिए हिंसात्मक कार्यवाही के लिए नहीं उभारता।
बरेली: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी की अपील- डीजे, गाना-बजाना, थिरकना जुलूस-ए-मोहम्मदी में नाजायज, सर तन से जुदा का नारा न लगाएं नौजवान pic.twitter.com/UJvUgkkWpK
— Amrit Vichar (@AmritVichar) October 8, 2022
मौलाना ने कहा कि सर तन से जुदा वाला नारा गैर अखलाकी, गैरकानूनी और गैरशरई है। आला हजरत ने अपने फतवे में लिखा है कि कानून को अपने हाथ में लेना जायज नहीं है और सजा देने का अधिकार हुकूमत का है। किसी व्यक्ति को ये अधिकार नहीं दिया जाता कि वो खुद सजा मुकर्रर करे और खुद ही सजा दे, चाहे इस्लामी देश हो या लोकतांत्रिक देश हो।
ये भी पढ़ें : बरेली: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी बोले- सर्वे टीम ने मदरसे से जुड़े जिम्मेदारों को धमकाया तो अच्छा नहीं होगा
मौलाना ने कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी को पैगंबर इस्लाम की सीरत की रोशनी में निकाला जाना चाहिए। जुलूस में मुकम्मल तरीके से शरीयत की रोशनी में रखा जाए और भाग लेने वाला हर व्यक्ति शरीयत की पाबंदी करें। डीजे, गाना बजाना, थिरकना ये सब नाजायज कार्य हैं। इस तरह के काम करने से जुलूस की धार्मिक गरिमा को नुकसान पहुंचाता है और सबाब के बजाए गुनाह मिलता है, इसलिए जुलूस में कोई भी ऐसा कार्य न किया जाए जो पैगंबर इस्लामकी शिक्षा के अनुसार नहीं है।