बरेली: साठगांठ ऐसी कि शॉपिंग मॉल के 40 लाख के टैक्स का एरियर कर दिया माफ, निगम की आय को लगाई चपत

बरेली: साठगांठ ऐसी कि शॉपिंग मॉल के 40 लाख के टैक्स का एरियर कर दिया माफ, निगम की आय को लगाई चपत

बरेली, अमृत विचार, सुरेश पाण्डेय। नगर निगम में आप टैक्स के बड़े बकायेदार हैं तो अब भी आपका टैक्स कम हो सकता है। बशर्ते आपकी पहुंच सही व्यक्ति तक हो जाए या उन व्यक्तियों के मिलाने वालों से हो जाए जो इस काम में कहीं न कहीं शामिल हैं। सब कुछ तय हो जाए तो …

बरेली, अमृत विचार, सुरेश पाण्डेय। नगर निगम में आप टैक्स के बड़े बकायेदार हैं तो अब भी आपका टैक्स कम हो सकता है। बशर्ते आपकी पहुंच सही व्यक्ति तक हो जाए या उन व्यक्तियों के मिलाने वालों से हो जाए जो इस काम में कहीं न कहीं शामिल हैं। सब कुछ तय हो जाए तो आपको चिंता करने भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि निगम से फाइल ही गायब करा दी जाएगी और कोई अफसर गायब फाइलों को तलाशने में इतना सक्रिय नहीं होगा कि वह फाइल मिल जाए और निगम को खोया हुआ राजस्व भी मिल जाए।

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जिम्मेदारों ने साठगांठ का ऐसा खेल रचा कि पीलीभीत रोड के शॉपिंग मॉल के 40 लाख रुपये टैक्स का एरियर ही माफ कर दिया। साफ्टवेयर बदलने के दौरान यह घपला कर लिया गया। मामला नगर आयुक्त की संज्ञान में आ गया है। उन्होंने फाइल तलब की है। पीलीभीत बाईपास पर मेसर्स ब्लैकवुड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का शापिंग मॉल है। इसके स्टेटमेंट में अप्रैल 2018 में पिछले साफ्टवेयर से 40 लाख 81 हजार 862 रुपये का बकाया था और अक्टूबर 2018 को इस पर ब्याज और डिमांड का नया टैक्स लगा।

वह रकम 17 लाख 92 हजार 408 रुपये थी। अब खेल शुरू हुआ। टैक्स माफ कराने के लिए निगम में सही व्यक्ति तक पहुंच का लाभ मॉल संचालक को मिल गया। 27 अक्टूबर को स्टेटमेंट में यह खेल कर दिया गया और एक टैक्स सुपरवाइजर के मौखिक आदेश पर कर समाहर्ता ने बिल को ठीक करते हुए 40 लाख 81 हजार 862 रुपये का बकाया माफ कर दिया और कह दिया कि गलत बिलिंग हो गई। इसके बाद से अब तक बिल जमा होता आ रहा है।

सिविल लाइंस के होटल का बिल भी माफ

सिविल लाइंस के एक होटल का टैक्स बकाये में 18 लाख का एरियर माफ कर दिया गया है। इसकी शिकायत मॉडल टाउन निवासी अजय सूरी ने भी लिखित रूप से की, लेकिन इस पर पर्दा डाल दिया गया है।

कर समाहर्ता कैसे बिल ठीक कर सकता

टैक्स के जानकार बताते हैं कि मौखिक आदेश पर कोई कर समाहर्ता बिल को ठीक कैसे कर सकता है। स्टेटमेंट में उस कर समाहर्ता का नाम भी दर्ज है। मौखिक आदेश पर जो टैक्स जमा कराया। उसकी कोई रसीद संख्या या चेक नंबर भी दर्ज नहीं है। जबकि अन्य के हैं।

आईटी एक्सपर्ट से जांच कराई जाए

टैक्स विभाग में घपलों की ईमानदारी से जांच कराई जाए तो निगम को काफी राजस्व मिल सकता है। 2018 से पहले के डाटा से जांच कराई जाए। बकाया और मांग की जांच भी होनी चाहिए। पहले एनआईसी के पास डेटा था। जब साफ्टवेयर में बदलाव किया गया तो एनआईसी से अपने हितैषी और कमाई कराने वालों का डेटा नहीं लिया और नई डिमांड बना दी।

टैक्स एरियर के माफ करने का औचित्य ही नहीं बनता है। इसकी जांच कराएंगे और संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई भी की जाएगी। राजस्व से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।-निधि गुप्ता वत्स, नगर आयुक्त

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