पवन वर्मा ने नीतीश से मुलाकात की, नहीं खोला अपना पत्ता

पटना। भारतीय जनता पार्टी को देश भर में विश्वसनीय चुनौती देने के लक्ष्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों अपने पुराने सहयोगियों से मिल रहे हैं और इसी क्रम में उन्होंने सोमवार रात नौकरशाही से राजनीति में आए पवन वर्मा से अपने आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। गौरतलब है कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद को लेकर 2020 …

पटना। भारतीय जनता पार्टी को देश भर में विश्वसनीय चुनौती देने के लक्ष्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों अपने पुराने सहयोगियों से मिल रहे हैं और इसी क्रम में उन्होंने सोमवार रात नौकरशाही से राजनीति में आए पवन वर्मा से अपने आधिकारिक आवास पर मुलाकात की।

गौरतलब है कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद को लेकर 2020 में जदयू (जनता दल यूनाइटेड) से निष्कासन तक पनव वर्मा ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्य किया था। पूर्व आईएफएस अधिकारी पवन वर्मा ने एक मीडिया एजेंसी को टेलीफोनिक वार्ता में  बताया कि नीतीश के साथ मेरी मुलाकात एक शिष्टाचार भेंट थी। समय-समय पर उभरे राजनीतिक मतभेदों के बावजूद हम पुराने दोस्त रहे हैं।

पिछले ही महीने तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ने वाले वर्मा ने कहा कि उनकी किसी भी राजनीतिक दल में शामिल होने की अभी तक कोई योजना नहीं है। पर यह जरूर कहा कि उन्होंने कुमार को भाजपा छोड़ने के लिए बधाई दी और विपक्ष को एकजुट करने के उनके प्रयास को प्रशंसनीय बताया। वर्मा का विरोध नागरिकता संशोधन विधेयक पर जदयू के संसद के दोनों सदनों में मतदान किए जाने पर था और उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा व्यक्त की थी तथा बिहार के मुख्यमंत्री के साथ बातचीत का विवरण जिसमें भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति पर अपनी परेशानी व्यक्त की थी, साझा किया था।

वर्मा के सार्वजनिक खुलासे पर नीतीश कुमार ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद वर्मा और राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर जदयू से बाहर हो गए थे। कुमार के साथ वर्मा की मुलाकात के बाद अटकलें लगायी जा रही हैं कि किशोर की जदयू में वापसी का काम पूर्व आईएफएस अधिकारी को सौंपा गया है।

बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में जदयू की सीटें कम होने के बाद से कुमार ने अपने पूर्व सहयोगियों के साथ संबंधों को सुधारने के क्रम में उपेंद्र कुशवाहा जिन्होंने पिछले साल अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जदयू में विलय किया और वर्तमान में पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष पद पर आसीन हैं, को फिर से शामिल करने जैसे कदमों से अपने पुराने गौरव को प्राप्त करने की इच्छा दिखाई है। संयोग से किशोर कुछ महीने पहले दिल्ली में कुमार से मिले थे, हालांकि दोनों ने कहा था कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी।

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