किसानों का हित

मानसून सीजन में देश के कई राज्यों में कम वर्षा के कारण खरीफ सीजन की खेती प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश के किसान भी सूखे जैसे हालात का सामना कर रहे हैं। राहत की बात है कि प्रदेश सरकार ने सतर्कता बरतते हुए अल्प वर्षा के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच किसानों का हित सुरक्षित …

मानसून सीजन में देश के कई राज्यों में कम वर्षा के कारण खरीफ सीजन की खेती प्रभावित हुई है। उत्तर प्रदेश के किसान भी सूखे जैसे हालात का सामना कर रहे हैं। राहत की बात है कि प्रदेश सरकार ने सतर्कता बरतते हुए अल्प वर्षा के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बीच किसानों का हित सुरक्षित करने के लिए हर संभव मदद मुहैया कराने का फैसला किया है। साथ ही प्रदेश के जिलों में सूखे की स्थिति का सर्वे कराया जाएगा।

प्रदेश सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को प्रदेश के सभी 75 जिलों में सूखे की स्थिति के सर्वेक्षण के लिए आदेश दिए। जिसके लिए 75 टीमें काम करेंगी। सूखे के बारे में कोई फैसला होने तक प्रदेश भर में सभी ट्यूबवेल के बिलों की वसूली भी स्थगित रहेगी। साथ ही ट्यूबवेल कनेक्शन भी नहीं काटे जाएंगे।

सूखा प्रभावित जिलों में लगान वसूली भी स्थगित रहेगी। इस बार मानसून के सीजन में अब तक उत्तर प्रदेश में सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश हुई है। सितंबर के पहले हफ्ते तक प्रदेश में तक 634 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए थी जिसके मुकाबले अभी तक 347.4 मिलीमीटर पानी ही बरसा है।

सबसे ज्यादा खराब हालात पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में है जहां ज्यादातर जिले सामान्य वर्षा के लिए तरस रहे हैं। यहां बागपत और गाजियाबाद में सामान्य से 78 फीसदी कम तो ज्योतिबा फुले नगर, रामपुर के अलावा कानपुर देहात, कुशीनगर, जौनपुर, गौतमबुद्धनगर ऐसे जिले हैं जहां 70 फीसदी से अधिक सामान्य से कम वर्षा हुई है। धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले चंदौली में तो सामान्य से 65 फीसदी से कम बारिश हुई है।

किसानों की मदद के लिए प्रदेश सरकार 192 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला कर चुकी है। यह राशि खेत में खड़ी फसल, तैयार उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए सरकार अगले पांच वर्ष में खर्च करेगी। इतना ही नहीं किसानों को रासायनिक एवं जैविक कीट रसायनों के लिए कृषि रक्षा इकाई से अनुदान दिया जाएगा।

फसलों को सुरक्षित रखने के लिए बखारी पर 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जाएगा। मौसम विभाग मान रहा है कि अभी तक के हालात को देखते हुए राज्य के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ सकता है। इस संबंध में सभी विकल्पों को समाहित करते हुए बेहतर राहत कार्य योजना तैयार की जा रही है।

फसलों की सिंचाई प्रभावित न हो इसके लिए नहरों में पानी की उपलब्धता रहे। हालांकि सरकार ने किसानों को उपलब्ध कराने के लिए सोलर पंपों की संख्या बढ़ाकर 20 हजार कर दी है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बढ़ाए जाने से भी प्रभावित किसानों को राहत मिल सकेगी।