आनंद मोहन मामला: अटॉर्नी जनरल का 13 लोगों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिए सहमति देने से इनकार

नई दिल्ली। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने विवादास्पद नेता आनंद मोहन को पिछले सप्ताह पटना की एक निचली अदालत में पेश करने के बाद कथित तौर पर वहां स्थित उसके आवास पर जाने की अनुमति देने के मामले में जेल और पुलिस अधिकारियों सहित 13 लोगों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने के लिए …

नई दिल्ली अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने विवादास्पद नेता आनंद मोहन को पिछले सप्ताह पटना की एक निचली अदालत में पेश करने के बाद कथित तौर पर वहां स्थित उसके आवास पर जाने की अनुमति देने के मामले में जेल और पुलिस अधिकारियों सहित 13 लोगों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है।

वेणुगोपाल ने कहा कि अटॉर्नी जनरल का क्षेत्राधिकार केवल भारत के उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना ​​के मामलों से निपटने तक सीमित है। मोहन 1994 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

वेणुगोपाल का यह फैसला अधिवक्ता ब्रजेश सिंह के एक पत्र के जवाब में आया, जिन्होंने मोहन को लगभग 47 घंटे तक सहरसा जेल से बाहर घूमने की अनुमति देने को लेकर कथित तौर पर न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डालने के लिए 13 लोगों के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी। अधिवक्ता ने मीडिया में आई रिपोर्ट का हवाला देते हुए पुलिस और जेल अधिकारियों सहित 13 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था।

वेणुगोपाल ने अपने पत्र में कहा कि अदालत की अवमानना ​​अधिनियम-1971 की धारा-15 के तहत अटॉर्नी जनरल का अवमानना ​​क्षेत्राधिकार भारत के शीर्ष न्यायालय के आपराधिक अवमानना ​​के मामलों से निपटने तक सीमित है। आपके द्वारा बताए गए तथ्य किसी भी तरह से उच्चतम न्यायालय की आपराधिक अवमानना के समान नहीं हैं। तदनुसार, मैं सहमति देने से इनकार करता हूं।

ये भी पढ़ें- सोनाली फोगाट मर्डर केस में एक और बड़ा खुलासा, आरोपी सुधीर सांगवान ने कबूला अपना गुनाह

ताजा समाचार