बरेली: पॉस मशीन को खामियों का ‘नशा’, शराब दुकानों में लड़खड़ा रही व्यवस्था

बरेली: पॉस मशीन को खामियों का ‘नशा’, शराब दुकानों में लड़खड़ा रही व्यवस्था

बरेली, अमृत विचार। आबकारी नीति को पारदर्शी बनाने के लिए शुरू की गई पॉस मशीन की व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है। सिस्टम को हाईटेक करने के लिए भले ही शराब की दुकानों पर पॉस मशीन दी गई हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मशीन को खामियों का ”नशा” है और व्यवस्था लड़खड़ाई …

बरेली, अमृत विचार। आबकारी नीति को पारदर्शी बनाने के लिए शुरू की गई पॉस मशीन की व्यवस्था फेल होती नजर आ रही है। सिस्टम को हाईटेक करने के लिए भले ही शराब की दुकानों पर पॉस मशीन दी गई हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मशीन को खामियों का ”नशा” है और व्यवस्था लड़खड़ाई हुई है। यही वजह है कि नीति कारगर नहीं होती दिख रही। कहीं नेटवर्क की समस्या तो कहीं सांझ ढलते ही शराब की दुकानों पर खरीदारों की बढ़ती भीड़ से सिस्टम धराशायी हो जाता है।

आबकारी विभाग ने 2017 की नीति में प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीन से शराब बिक्री की व्यवस्था को शामिल किया था, लेकिन लंबे समय तक यह व्यवस्था लंबित रही। इसके बाद जून माह में इस व्यवस्था की शुरुआत की गई। इस सिस्टम के तहत शराब की बिक्री इसी डिवाइस से करना है। पहले चरण में दस जिलों में इस व्यवस्था को लागू करने की योजना थी। उसी को लेकर बरेली में यह नीति लागू की गई।

दुकानों पर आबकारी विभाग की ओर से पोस मशीन दी गईं। आदेश दिया गया कि इसी मशीन से शराब की बिक्री की जाएगी। देसी से लेकर विदेशी और बीयर सभी की बिक्री इसी से होगी, लेकिन हकीकत यह है कि इस व्यवस्था पूरी तरह से फेल होती दिख रही है। बुधवार को अमृत विचार टीम की जांच में हकीकत सामने आई। कहीं पर नेटवर्क की समस्या इस व्यवस्था में बाधा बनती दिखी तो कहीं पर लोगों की अचानक बढ़ती भीड़ से सिस्टम काम नहीं कर रहा था। ऐसे में जिस मंशा के साथ इसकी शुरुआत की गई, वह साकार नहीं होती दिख रही है।

केस-1
पीलीभीत मार्ग पर सेटेलाइट बस स्टॉप के पास देसी शराब की दुकान है। बुधवार को करीब 4 बज रहे थे, इस बीच यहां पर टीम पहुंची। दुकान के अंदर बैठे सेल्समैन ने हाथ में लेकर मशीन दिखाई। कहा कि इसी से स्कैन करके शराब देते हैं, लेकिन सही से मशीन काम ही नहीं करती है। समस्या पूरे दिन बनी रहती है। यह सिस्टम सही नहीं है।

केस-2
सेटेलाइट बस स्टॉप के पास कुछ दूरी पर एक विदेशी शराब की दुकान है। यहां पर भी पॉस मशीन रखी थी। एक ग्राहक शराब लेने आया। मांगी गई ब्रांड की शराब देने के बाद उसे स्कैन करने के लिए मशीन का सहारा लिया गया, लेकिन मशीन ने काम नहीं किया। काफी देर तक जुटे रहने के बाद भी स्कैन नहीं होने पर दुकानदार ने मैनुअल बिक्री की।

इस मंशा से शुरू की गई थी व्यवस्था
पोस मशीन से शराब की बिक्री करने के पीछे विभाग की मंशा है कि इससे इसमें खेल नहीं हो सकेगा। दाम बढ़ाकर शराब की बिक्री नहीं की जा सकगी। पॉस मशीन में क्यूआर कोड स्कैन करते ही उस बोतल, कैन, दुकान का नाम ऑनलाइन दर्ज हो जाता है। निर्धारित मूल्य से अधिक दर पर बिक्री न करने के साथ ही मिलावटी और नकली शराब के कारोबार पर भी अंकुश लग सकेगा। बिक्री की मॉनीटरिंग विभाग आसानी से कर सकेगा।

सांझ ढलते ही बढ़ती बिक्री, शुरू होते विवाद
पॉस मशीन विवाद की वजह बन जा रही है। कई दुकानदारों ने बताया कि शाम के समय अचानक शराब की बिक्री बढ़ जाती है। मशीन से शराब स्कैन कर देने में समय लगता है। उधर, सभी को जल्दी होती है। जल्दबाजी के चक्कर में विवाद तक हो जाते हैं। लोग जाली के अंदर तक हाथ डालकर शराब लेने की कोशिश करते हैं, इसी बीच नेटवर्क ठप हो जाता है, इससे दिक्कत होती है। आपाधापी होने पर मशीन की व्यवस्था बंद हो जाती है फिर मैनुअल शराब दी जाती है। दिनभर नेटवर्क की दिक्कत भी परेशान करती है।

ग्रामीण इलाकों में ये आती हैं दिक्कतें

  • बिजली नहीं आने पर मशीन चार्ज नहीं हो पाती।
  • सेल्समैन को तकनीकी जानकारी भी नहीं होती है।
  • दूरदराज के क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या रहती है, मशीन चल नहीं पाती है।

जिले की सभी दुकानों पर पॉस मशीन उपलब्ध हैं। कंपनी दो सिम लगाकर दे रही है। बरेली की स्थिति ठीक है। बीयर की सभी दुकानों पर मशीन ठीक से संचालित हो रही हैं। ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की दिक्कत रहती है। दुकानों पर पर्याप्त संख्या में पॉस मशीनों उपलब्ध कराई जाएंगीविजय सिंह, जिला आबकारी अधिकारी।

यह भी पढ़ें- बरेली: डल्लो किन्नर के गुट पर रेखा किन्नर ने किया हमला, जिला अधिकारी से की शिकायत