बरेली: राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण पर सवाल, मंडल में बरेली में सबसे कम मोर

बरेली: राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण पर सवाल, मंडल में बरेली में सबसे कम मोर

बरेली, अमृत विचार। शासन स्तर से राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण को लेकर तमाम मुहिम चलाई जाती हैं। मयूर संरक्षण क्षेत्र भी घोषित किए जाते हैं। बावजूद इसके जिले में मोरों के संरक्षण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, इस साल हुई गणना के मुताबिक मंडल में सबसे कम मोर जिले में मिले …

बरेली, अमृत विचार। शासन स्तर से राष्ट्रीय पक्षी मोर के संरक्षण को लेकर तमाम मुहिम चलाई जाती हैं। मयूर संरक्षण क्षेत्र भी घोषित किए जाते हैं। बावजूद इसके जिले में मोरों के संरक्षण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरअसल, इस साल हुई गणना के मुताबिक मंडल में सबसे कम मोर जिले में मिले हैं। इसके पीछे लगातार वन क्षेत्र का घटना और राष्ट्रीय पक्षी की आए दिन संदिग्ध मौतों की घटनाओं को वजह माना जा रहा है। मंडल में लगभग पांच हजार मोर वन विभाग ने इस साल चिन्हित किए हैं, जिसमें जिले में मोर कुल संख्या के 2.5 प्रतिशत भी नहीं हैं।

वन्य जीवों की साल 2022 की गणना के मुताबिक जिले में कुल 218 मोर हैं, जिनमें 128 नर, 75 मादा व 15 बच्चे हैं। बदायूं में 2990 मोर चिन्हित किए गए, जिनमें 1493 नर, 1176 मादा व 321 बच्चे हैं। शाहजहांपुर में 1785 मोर चिन्हित किए गए हैं, जिनमें 936 नर, 788 मादा व 61 बच्चे शामिल हैं। सबसे अधिक मोर बदायूं में चिन्हित किए गए हैं। केवल मोर ही नहीं अन्य वन्य जीवों के मामले में भी जिला बेहद पिछड़ा हुआ है। यह स्थिति तब है जब मोरों के संरक्षण को लेकर तमाम मुहिम चलाई जा रही हैं।

अधिकारियों का कहना है कि राष्ट्रीय पक्षी के संरक्षण को लोगों को जागरूक किया जाता है। आम तौर पर मोर ग्रामीण क्षेत्रों व हरियाली के बीच रहना पसंद करते हैं। अक्सर रिहायशी इलाकों में भी मोर देखने को मिल जाते हैं, लेकिन यहां कुत्तों आदि से इन्हें अधिक खतरा रहता है। बीते दिनों कई ऐसी घटना हुईं, संदिग्ध हालात में मोरों की मौत हुई। इनकी सुरक्षा एवं संरक्षण के नाम पर वन विभाग भी केवल लोगों को जागरूक कर रहा है।

बाजार में मोर पंख की अधिक मांग
बाजार में मोर पंख की अधिक मांग रहती है। लोग सजावटी सामान बनाने में मोर पंख का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मोर पंख बेचने पर पाबंदी है। मोरों की संख्या उनकी आकर्षक रंग बिरंगे पंखों की डिमांड के कारण भी कम हुई है। कई बार मोर पंख प्राप्त करने के लिए लोग राष्ट्रीय पक्षी की हत्या तक करने से पीछे नहीं हटते। जो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत गंभीर अपराध है।

मोरों के संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं। इसके अलावा मोर पंख की बिक्री को लेकर भी वन विभाग की टीमें निगरानी के लिए सक्रिय रहती हैं। अगर गिरा हुआ पंख बेचा जाता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं। लेकिन अगर मोर को नुकसान पहुंचाकर या उसकी हत्या कर पंख प्राप्त किए गए हैं तो यह पूरी तरह अपराध है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है—ललित कुमार वर्मा, मुख्य वन संरक्षक, रुहेलखंड जोन।

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