अयोध्या: चकबंदी विभाग और तहसील कर्मियों की मिलीभगत से दशकों तक रहा अवैध कब्जा

अयोध्या। 5 बीघे से अधिक खलिहान पशुचर और बंजर भूमि पर दशकों से चला आ रहा अवैध कब्जा अब खाली हो जायेगा। सन् 1966 में हुई पहली चकबंदी और उसके बाद तहसील कर्मियों की मिलीभगत से ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा जमाए लोगों के खिलाफ चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर की अदालत से यह फैसला …
अयोध्या। 5 बीघे से अधिक खलिहान पशुचर और बंजर भूमि पर दशकों से चला आ रहा अवैध कब्जा अब खाली हो जायेगा। सन् 1966 में हुई पहली चकबंदी और उसके बाद तहसील कर्मियों की मिलीभगत से ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध कब्जा जमाए लोगों के खिलाफ चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर की अदालत से यह फैसला किया गया।
यह चर्चित प्रकरण मिल्कीपुर तहसील के कदनपुर गांव से जुड़ा हुआ है। जहां ग्राम पंचायत कदनपुर में 1966 की चकबंदी में ग्राम पंचायत के खाते में दर्ज खलिहान पशुचर व बंजर भूमि को डबल इंद्राज कराते हुए तीन लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया।
इस खेल में बाद में तहसील के कर्मचारी भी शामिल हो गए और उक्त खातों का नामांतरण अवैध कब्जेदारों के नाम मूल खाते के रूप में कर दिया गया। तमाम अदालतों से होते हुए यह मामला 28 वर्ष पूर्व चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर की अदालत में भेजा गया, जहां चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर राकेश कुमार खन्ना ने उक्त मामले में अपना फैसला सुनाते हुए उपरोक्त जमीन को पुन: ग्राम समाज के खाते में दर्ज करने का आदेश दिया।
कदनपुर गांव के निवासी जगन्नाथ यादव, हंसराज, श्यामराज व मंगल शरण ने चकबंदी कर्मियों से मिलीभगत करके डबल इंद्राज कराते हुए उपरोक्त जमीन को अपने नाम दर्ज करवा लिया और इसके बाद तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से धारा 52 के प्रकाशन के बाद खतौनी पर अंकित करा लिया। मामले में काफी उतार-चढ़ाव आने के बाद उपरोक्त बेशकीमती जमीन का मामला इस अदालत से उस अदालत पर चलता रहा।
पुन: दूसरी चकबंदी में 28 साल पूर्व उपरोक्त पत्रावली चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर के यहां स्थानांतरित कर दी गई, जिसमें फैसला सुनाते हुए चकबंदी अधिकारी मिल्कीपुर राकेश खन्ना ने उपरोक्त सभी लोगों के कब्जे को अवैध माना व कदनपुर गांव के खतौनी में दर्ज गाटा संख्या 638, 640, 648 की संपूर्ण जमीन को गांव सभा के खाते में दर्ज करते हुए उपरोक्त लोगों के कब्जे को अवैध घोषित कर दिया।
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