बरेली: पुस्तकालय के दरवाजों पर लगा ताला पाठकों के अरमानों पर लगा रहा जंग

बरेली, अमृत विचार। पढ़ने और पढ़ाने का शौक रखने वालों के लिए सरकारी पुस्तकालय का दरवाजा फिलहाल बंद है। शहर के बीचोंबीच कभी सुंदरता से चकाचौंध रहने वाली नगर निगम के पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। पुस्तकालय में रखी कीमती पुस्तकें दीमक का शिकार हो गई हैं, जिससे युवाओं में काफी …
बरेली, अमृत विचार। पढ़ने और पढ़ाने का शौक रखने वालों के लिए सरकारी पुस्तकालय का दरवाजा फिलहाल बंद है। शहर के बीचोंबीच कभी सुंदरता से चकाचौंध रहने वाली नगर निगम के पुस्तकालय आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। पुस्तकालय में रखी कीमती पुस्तकें दीमक का शिकार हो गई हैं, जिससे युवाओं में काफी रोष है।
शहर में बनाए गए पुस्तकालय भवनों की कई वर्षों से किसी ने कोई सुध नहीं ली है। नगर निगम के पास इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है, पर इसमें निगम पिछड़ चुका है। पुस्तकालय पर लटका ताला युवाओं की किस्मत पर भी जंग लगा रहा है। पुस्तकालय जाकर पढ़ाई करने वाले छात्र निराश हैं।
आसपास के लोगों का कहना है कि जब ये पुस्तकालय ठीक रूप से संचालित थे तब इनमें काफी रौनक रहती थी। दूर-दूर से छात्र छात्राएं यहां पढ़ाई करने आते थे, लेकिन अब तो आलम ये है की अंदर रखी कई लाखों की किताबों में दीमक लग गई है। काफी वर्षों से इन पुस्तकालयों में ताला लटका हुआ है। हमें इंतजार है कि ये पुस्तकालय खुलें और दोबारा से बच्चे इनमें पढ़ाई करने आ सकें।
पिछले सात आठ सालों से पाठकों के लिए नहीं खुला इस पुस्तकालय का ताला
बिहारी पुर चौकी के बराबर में बना नगर निगम का पुस्तकालय पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है। अंदर रखी किताबों पर धूल जम गई है। पाठकों ने जब भी इस पुस्तकालय का रुख किया उन्हें यहां पर ताला लटका हुआ ही मिला। पाठकों ने इसके खुलने की आस ही छोड़ दी है।
अंदर रखी किताबें पाठकों का इंतजार कर रहीं हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि लगभग पिछले आठ सालों से हमने एक भी बार इसे खुले हुए नहीं देखा है। तांता लगा रहता था। आज तक कोई भी जिम्मेदार ने पुस्तकालय की ओर झांका भी नहीं है। हम सभी को आस है की ये दोबारा से संचालित हो और हमारे बच्चे इसका लाभ ले सकें।
कई सालों से खंडहर पड़ा पुस्तकालय का अब हो रहा निर्माण
नावल्टी चौराहे पर स्थित नगर निगम का पुस्तकालय 1972 में शुरू हुआ था जोकि आज खंडहर में तबदील हो गया है। पिछले कई सालों से तो ये पुस्तकालय बंद पडा था, लेकिन अभी छह महीने पहले इसमें निर्माण कार्य शुरू हुआ है। इसके अंदर अभी भी किताबें रखी हैं जिन पर दीमक लग रही है। नगर निगम को इन किताबों की कोई भी चिंता नहीं है। आसपास के लोगों ने बताया कि पिछले कई सालों से ये पुस्तकालय बंद पड़ा है लेकिन जब ये ठीक तरह से संचालित हो रहा था तब इसमें काफी दूर-दूर से पाठक पढ़ाई करने के लिए आते थे। अभी कुछ महीनों पहले इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ है जोकि बहुत धीमी गति से चल रहा है।
पूरे शहर में एक ही पुस्तकालय ठीक रूप से संचालित
इंद्रा मार्केट में स्थित राजकीय पुस्तकालय ही मात्र एक ऐसा पुस्तकालय है जो ठीक रूप से संचालित है। ये पुस्तकालय 1857 में शुरू हुआ था। इसमें सांस्कृतिक, ऐतिहासिक आदि की किताबें उपलब्ध हैं। यहां पर किताबें पढ़ने के लिए पहले डाक घर से एनएससी लेनी पड़ती है। उसके बाद पाठकों को पुस्तकालय से एक फॉर्म मिलता है जिसको उन्हें ठीक तरह से भरना होता है। फिर उनका यहां पर पंजीकरण हो जाता है और वे 10 से पांच के बीच में किसी भी समय पुस्तकालय आकर पढ़ाई कर सकते हैं।
इस पुस्तकालय की क्लर्क ने बताया कि हमारे यहां इस वक्त 80 पाठक रोजाना पढ़ने आते हैं। हमारे यहां किताबों की कोई कमी नहीं है, मगर पिछले दो सालों से कोरोना के चलते यहां पर नई किताबें नहीं आईं हैं। इस पुस्तकालय में अगर कोई समस्या है तो वो है शौचालय की।