अयोध्या: जलाशयों को इकोसिस्टम से पुनर्जीवित करने के लिए बेंगलुरू से बुलाए गए एक्सपर्ट

अयोध्या: जलाशयों को इकोसिस्टम से पुनर्जीवित करने के लिए बेंगलुरू से बुलाए गए एक्सपर्ट

अयोध्या। अयोध्या के पौराणिक और तीर्थ स्वरूपों को संवारने का काम शुरू हो गया है। इसके लिए पौराणिक जलाशयों को फिर से जीवित किया जाएगा। पहले चरण में 108 कुंडों और कई तालाबों को चिह्नित किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कई सोर्सेज से बजट का कलेक्शन किया जा रहा है। …

अयोध्या। अयोध्या के पौराणिक और तीर्थ स्वरूपों को संवारने का काम शुरू हो गया है। इसके लिए पौराणिक जलाशयों को फिर से जीवित किया जाएगा। पहले चरण में 108 कुंडों और कई तालाबों को चिह्नित किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कई सोर्सेज से बजट का कलेक्शन किया जा रहा है। काम को 6 माह पूरा कर लेने का दावा भी किया जा रहा है।

विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष/नगर आयुक्त विशाल सिंह के मुताबिक भारत सरकार की अमृत योजना के तहत तालाबों की सूची मांगी गई थी, जिसे भेज दिया गया है। पहले फेज में कुल 108 कुंड है जो जीर्णशीर्ण हैं या जिन पर लोगों ने कब्जा कर रखा है या उनमें पानी नही है। सबसे पहले उन्हें पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए बजट नमामि गंगे योजना से प्राप्त हुआ है।

उन्होंने कहा यह कार्रवाई अब अनवरत चलेगी और कुछ माह में अयोध्या में जो पौराणिक जलाशय थे उन सभी को पुनर्जीवित कर लेंगे। पानी को नेचुरल विधि से कैसे साफ किया जाता है। इसको देखने के लिए एक टीम कुछ दिन पहले बेंगलुरु गई थी। वहां से एक्सपर्ट बुलाकर यहां पर भी काम शुरू कर दिया गया है।

बेंगलुरु से आए एक्सपर्ट आनंद मल्लीगवद के मुताबिक इकोलॉजिकल मैकेनिज्म जैसे पौधे लगाकर उसको चैनलाइज और प्यूरिफाई करके फिर रेन वाटर को क्रिएट किया जाएगा। यह पूरा कार्य अयोध्या में युद्ध स्तर पर शुरू किया गया है। उन्होंने दावा किया कि प्रथम चरण का यह कार्य कुछ माह में पूरा करके कुंडों को पुनर्जीवित कर लिया जाएगा।

कब्जों वाली जगहों को भी किया चिह्नित

विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के मुताबिक अयोध्या प्राचीन काल के अवशेषों से भरी पड़ी है। इसलिए कुंडों के 1359 फसली के जो रिकार्ड है उन्हें निकाल कर डीएम से अनुरोध करके उसकी पैमाइस कराई जा रही है। नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे जो भी तालाब है जिनका एरिया रिकार्ड के अंतर्गत आता है। जिन पर कालांतर में कब्जे हो गए हैं। उन्हें पूरी तरीके से चिह्नित कर लिया गया है। जल्दी उनके ऊपर हुए कब्जे को हटाया जाएगा और उन्हें पुराना स्वरूप दिया जाएगा।

इन पर शुरू हुआ काम

ब्रह्मा कुंड, विद्या कुंड, अग्नि कुंड, सीता कुंड, लाल डिग्गी, सूर्य कुंड, मन मुनि कुंड और खजुआ कुंड पर काम शुरू हो गया है।

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