पूर्व आईएएस राम विलास यादव की गिरफ्तारी का मामला: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विजिलेंस, सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी एवं अपर सचिव समाज कल्याण राम विलास यादव की गिरफ्तारी पर रोक के मामले पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने शिकायतकर्ता लखनऊ निवासी हेमंत कुमार मिश्रा को नोटिस …
नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी पूर्व आईएएस अधिकारी एवं अपर सचिव समाज कल्याण राम विलास यादव की गिरफ्तारी पर रोक के मामले पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने शिकायतकर्ता लखनऊ निवासी हेमंत कुमार मिश्रा को नोटिस जारी किया है। एकलपीठ ने विजिलेंस एवं सरकार से भी तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि नियत की गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि पूर्व में कोर्ट के आदेश पर याची विजिलेंस के सम्मुख पेश हुए, उसके बाद भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया जबकि सरकार के पास उनके खिलाफ कोई सुबूत तक नहीं हैं। मामले के अनुसार, पूर्व आईएएस अधिकारी राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में यादव उत्तर प्रदेश सरकार में भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव रह चुके हैं। उनके खिलाफ लखनऊ में हेमंत कुमार मिश्रा द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति रखने की शिकायत दर्ज की गई थी, जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जांच शुरू की।
विजिलेंस टीम ने पूर्व आईएएस यादव के लखनऊ, देहरादून व गाजीपुर ठिकानों पर छापा मारा, जिसमें विजिलेंस को आय से अधिक सम्पत्ति होने के कई दस्तावेज मिले। इसके आधार पर सरकार ने इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की। पूर्व में अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए राम विलास यादव ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। यादव उत्तर प्रदेश सरकार में एलडीए सचिव के साथ साथ मंडी परिषद के निदेशक भी रह चुके हैं।