लखीमपुर-खीरी: मंझरा पूरब में आतंक का पर्याय बना बाघ पिंजरे में कैद, बाघिन दे रही चकमा

लखीमपुर-खीरी: मंझरा पूरब में आतंक का पर्याय बना बाघ पिंजरे में कैद, बाघिन दे रही चकमा

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। कोतवाली तिकुनियां क्षेत्र में काफी समय से आतंक का पर्याय बना बाघ मंगलवार को शिकार के लालच में पिंजरे में पहुंचा बाघ कैद हो गया। वहीं उसके साथ घूम रही बाघिन वन विभाग की पकड़ से अभी दूर है। बाघ के पकड़े जाने से वन विभाग ने कुछ राहत ली है। बाघ …

लखीमपुर-खीरी, अमृत विचार। कोतवाली तिकुनियां क्षेत्र में काफी समय से आतंक का पर्याय बना बाघ मंगलवार को शिकार के लालच में पिंजरे में पहुंचा बाघ कैद हो गया। वहीं उसके साथ घूम रही बाघिन वन विभाग की पकड़ से अभी दूर है। बाघ के पकड़े जाने से वन विभाग ने कुछ राहत ली है। बाघ को कतर्निया वन्य जीव विहार ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया।

उधर लगातार बाघ के हमले से हो रही मौतों को लेकर ग्रामीण काफी आक्रोशित हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने को लेकर डीएम और एसपी संजीव सुमन ने मंझरा पूरब पहुंचे और कतर्निया घाट के बाद थाना निघासन पहुंचकर किसानों से बातचीत की और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग मांगा।

कोतवाली तिकुनियां क्षेत्र में करीब दो साल से बाघ आतंक का पर्याय बना हुआ है। वह लगातार जंगल से बाहर निकलकर खेतों में काम कर रहे लोगों और पशुओं को अपना निशाना बना रहा था। इधर करीब एक महीने से बाघिन भी क्षेत्र में दहशत का पर्याय बनी हुई थी। प्रभागीय वनाधिकारी उत्तर खीरी वन प्रभाग दुधवा टाइगर रिजर्व के बफर जोन के उपनिदेशक सुन्दरेश ने बताया कि 17 जून की रात उत्तर निघासन रेंज की मझरा बीट में बाबा कुटिया के पास महंत मोहनदास को बाघिन ने हमला कर मार दिया था। उसके शरीर को लगभग पूरी तरह से खा लिया था।

अगले दिन दुधवा टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अभियान चलाते हुए बाघिन को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया। इसी बीच बाघ व बाघिन के हमले की कई घटनाएं भी हुईं। वन विभाग ने मझरा पूरब रेलवे स्टेशन से खैरटिया नया पिण्ड की ओर जा रहे मार्ग एवं अन्य संवेदनशील स्थलों पर बाघ/बाघिन की निगरानी के लिए 36 कैमरा ट्रैप लगाए गए थे। साथ ही हाथियों, ड्रोन एवं पिंजरों की मदद भी ली गई। चार पशु चिकित्सकों, एसटीपीएफ के जवानों एवं वन कर्मियों की चार टीमें बनायी गईं थीं। कैमरा ट्रैपों में प्राप्त चित्रों के विश्लेषण में दो बाघ व एक बाघिन की मौजूदगी संरक्षित क्षेत्र में देखी गई, जिसमें से एक बाघिन का स्पष्ट रूप से उपस्थित होना पाया गया।

दूसरे बाघ/बाघिन की तस्वीरों के आधार पर लिंग निर्धारण सम्भव नहीं हो पा रहा था, लेकिन दोनों के साथ साथ-साथ होने के कारण यह माना जा रहा था कि दोनों बाघिन होंगी। उन्होंने बताया कि मंगलवार की सुबह तीन बजे के आस – पास एक बाघ वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गया। जिसे वन विभाग की टीम कतर्निया वन्य जीव बिहार ले गई। जहां उसका परीक्षण किया गया। परीक्षण में बाघ का नर होना पाया गया है।

आसपास लगे कैमरों से यह साफ हो गया कि बाघ के पिंजड़े में कैद हो जाने के बाद बाघिन बार- बार उस पिंजड़े के पास आ रही थी। आस – पास के इलाके में ही घूम रही थी। इससे यह साफ है कि बाघ व बाघिन साथ – साथ घूम रहे थे। वन विभाग जंगल के बाहर घूम रही बाघिन को पकड़ने के प्रयास कर रहा है। बाघ के पकड़े जाने की सूचना पर उसे देखने वालों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। अधिकारियों और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी।

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