बरेली: देश के 15-20 फीसदी पशुओं में मिली कोरोना संक्रमण की एंटीबॉडी

बरेली: देश के 15-20 फीसदी पशुओं में मिली कोरोना संक्रमण की एंटीबॉडी

बरेली, अमृत विचार। दुनियाभर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस के लक्षण इंसानों में मिल रहे हैं, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआई) के वैज्ञानिकों की ओर से की गई शोध में हैरान करने वाली बात सामने आई है। शोध के शुरुआती परिणाम में करीब 15-20 प्रतिशत पालतू व वन्य जीवों में कोरोना वायरस के प्रति …

बरेली, अमृत विचार। दुनियाभर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस के लक्षण इंसानों में मिल रहे हैं, लेकिन भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआई) के वैज्ञानिकों की ओर से की गई शोध में हैरान करने वाली बात सामने आई है। शोध के शुरुआती परिणाम में करीब 15-20 प्रतिशत पालतू व वन्य जीवों में कोरोना वायरस के प्रति एंटीबॉडीज पाई गई है।

यानी इन पशुओं में भी कोरोना वायरस संक्रमण हुआ था, लेकिन इन पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से इनमें लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं। हालांकि गुरुवार को नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन एक़ुइनेस, हिसार की ओर से पशुओं को कोरोना से बचाने के लिए डायग्नोस्टिक किट एवं वैक्सीन को लांच कर दिया गया है। जिससे पशुओं में कोरोना की रोकथाम की जा सकती है।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान के वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध के अनुसार पशुओं में कोरोना की एपिडेमियोलॉजी के अध्ययन के लिए प्रोजेक्ट मिला है। प्रोजेक्ट को लीड कर रहे वैज्ञानिक डा. गौरव शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए संयुक्त निदेशक डा. केपी सिंह के निर्देशन में सात सदस्यीय टीम सहयोग कर रही है। उन्होंने बताया कि मई 2021 में आइसीएआर के निर्देशन में आईवीआरआई बरेली, नेशनल हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज भोपाल और नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन एक़ुइनेस, हिसार को डायग्नोस्टिक किट, वैक्सीन, ड्रग और जानवरों में इस बीमारी का पता लगाने के लिए प्रोजेक्ट मिला था। जिसके बाद से लगातार पशुओं में वायरस के प्रवेश से लेकर अन्य आवश्यक गतिविधियों पर शोध किया जा रहा है।

देश भर से लिए पालतू व वन्य जीवों के रक्त के सैंपल
डा. गौरव शर्मा ने बताया कि प्रोजेक्ट के लिए उन्होंने गुजरात, जयपुर, दिल्ली के वन्य जीवों के रक्त के सैंपल लिए गए। इसमें नेशनल पार्क, सैंचुरी व चिड़ियाघरों में से सैंपल लिए गए। वहीं, पालतू पशुओं के भी सैंपलों को इकट्ठा कर अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि इनमें कोरोना संक्रमण के प्रति एंटीबाडीज पहले से तैयार हो चुकी है। जिसका अर्थ है कि ये पशु भौतिक माध्यम से कोरोना की चपेट में आए थे, लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के चलते वायरस पूरी तरह असरदार नहीं हो सका।

पशुओं में वायरस के कैरियर स्टेट्स पर किया जा रहा अध्ययन
पशुओं में एंटीबॉडीज पाए जाने के बाद वैज्ञानिकों की ओर से वायरस के कैरियर स्टेट्स पर भी अध्ययन किया जा रहा है। जिसके माध्यम से ये पता लगाया जा रहा है कि क्या कोरोना वायरस निष्क्रिय होने के बाद भी पशुओं में शरीर में मौजूद रहता है।

पशुओं से इंसानों में कोरोना फैलने का नहीं मिला साक्ष्य
कुछ माह पहले विदेश में एक हिरन से इंसानों में कोरोना फैलने की घटना के बाद वैज्ञानिकों की ओर से अध्ययन के दौरान ये भी पता लगाया कि क्या पशुओं से इंसानों में कोरोना संक्रमण का ट्रांसमिशन हो सकता है। पशुओं से इंसानों में कोरोना फैलने की स्थिति को वैज्ञानिक भाषा में स्पिल ओवर कहा जाता है। हालांकि इस संबंध में वैज्ञानिकों को कोई साक्ष्य नहीं मिला है।

मांसाहारी पशुओं पर दिखा अधिक असर
शोध के दौरान पता लगा कि मांसाहारी पशु जैसे लायन, लैपर्ड, टाइगर में कोरोना संक्रमण का अधिक असर देखने को मिला है। डा. गौरव शर्मा ने बताया कि हाल ही में जारी आईसीएआर की ओर से रिपोर्ट के अनुसार कोरोना काल के दौरान करीब 16 शेरों व एक लेपर्ड को कोरोना संक्रमण हुआ था । वहीं, कुत्ते, बिल्ली की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के चलते वे स्वत: ही ठीक हो गए। इसके साथ ही एंटीबाडीज भी विकसित हो गई।

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