फसल को बीमारियों से बचाने के लिए बीज शोधन कर ही डालें धान की नर्सरी: वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीर कुमार पांडे

बाराबंकी। आचार्य नरेंद्र देव कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से संचालित किसान विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीर कुमार पांडे ने बताया कि जो किसान नर्सरी नहीं डाले हैं वह पहले धान के बीज का शोधन अवश्य कर लें, इससे बहुत सी बीज जनित बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। बीज़ शोधन …
बाराबंकी। आचार्य नरेंद्र देव कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या से संचालित किसान विज्ञान केंद्र हैदरगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. समीर कुमार पांडे ने बताया कि जो किसान नर्सरी नहीं डाले हैं वह पहले धान के बीज का शोधन अवश्य कर लें, इससे बहुत सी बीज जनित बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। बीज़ शोधन में दवा का प्रयोग करके बीमारियों पर नियंत्रण करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
वहीं खण्डवा रोग जैसी खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण में लगने वाले ब्यय को बचाया जा सकता है। नर्सरी अधिक घनी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जितने क्षेत्रफल में धान की रोपाई करना चाहते हैं, उसके 10 वें भाग में नर्सरी डालें।
नर्सरी डालने से पहले खेत में अच्छी प्रकार पानी भरकर लेवा लगाएं ,जिससे नर्सरी खेत में खरपतवार की समस्या कम हो जाए। खंडवा जैसी बीज जनित बीमारियों के प्रकोप को कम करने के लिए धान के बीज का बुवाई के पूर्व बीज शोधन बहुत जरूरी है।
इस तरह शोधित करें बीज
सर्वप्रथम बीज को कुछ देर के लिए नमक के 2% साफ पानी घोल में भिगो दें उसके बाद पानी के ऊपर तैर रहे खराब बीज को छान लें और दो- तीन बार साफ पानी से बीज को धो लें। तत्पश्चात स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% एवं टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% के 5 ग्राम मात्रा को प्रति 25 किलोग्राम बीज की दर से 100 लीटर पानी में खोल दें। इसी पानी में बीज को रात भर भिगो दें।
इसके बाद बीज को पानी से निकाल कर उसमें 2.5 ग्राम थिरम या 2 ग्राम कार्बेंडाजिम फफूंदनाशी को प्रति किलो ग्राम बीज की दर से अच्छी तरह मिला दें। इसके बाद उसे छाया में जूट के बोरे से ढक अंकुरित करके नर्सरी डालें।
ऐसा करने से जीवाणु एवं फफूंदजनित दोनों तरह की बीमारियों में कमी लाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त 5 ग्राम ट्राइकोडरमा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधन किया जा सकता है।