मानसून में नहीं होगी राशन की किल्लत, कुमाऊं के आपदा संभावित 5 जिलों में भेजा जा रहा गेहूं-चावल

हल्द्वानी, अमृत विचार। मानसून सीजन में उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में बारिश और भूस्खलन की वजह से सड़क ब्लॉक हो जाती है। इस कारण पहाड़ी जिलों में संपर्क टूटने के साथ ही राशन सप्लाई में बाधा आ जाती है। इस परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने मानसून से पहले कुमाऊं के आपदा संभावित जिलों …
हल्द्वानी, अमृत विचार। मानसून सीजन में उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में बारिश और भूस्खलन की वजह से सड़क ब्लॉक हो जाती है। इस कारण पहाड़ी जिलों में संपर्क टूटने के साथ ही राशन सप्लाई में बाधा आ जाती है। इस परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने मानसून से पहले कुमाऊं के आपदा संभावित जिलों में अगले तीन महीनों की खाद्य सामग्री पहुंचानी शुरू कर दी है।

कुमाऊं खाद्य नियंत्रक कार्यालय द्वारा राज्य सरकार के भंडार गृह से कुमाऊं मंडल के बागेश्वर, पिथौरागढ़ ,चंपावत, नैनीताल, अल्मोड़ा जिलों के आपदा वाले क्षेत्रों में स्थित गोदामों में खाद्य और रसद पहुंचाने के निर्देश जिला पूर्ति अधिकारियों को दे दिए गए हैं।
आरएफसी कुमाऊं हरबीर सिंह के अनुसार, अब तक 40 फीसदी गेहूं और चावल कुमाऊं मंडल के पांच जिलों के सीमांत गोदामों में पहुंचा दिया गया है, बाकि सप्लाई डिमांड आने के बाद कर दी जाएगी। खाद्य आपूर्ति अधिकारियों को अगले एक सप्ताह के अंदर जो रेगुलर आपूर्ति है उसे भी पूरा करने के आदेश दे दिए गए है। खाद्य नियंत्रक के अनुसार प्रत्येक जिले के खाद्य आपूर्ति अधिकारियों को सुनिश्चित किया गया है कि आपदा की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र के गोदामों में खाद्यान्न को सुरक्षित रखने की उचित व्यवस्था भी करें।