कांग्रेस से टूटा हार्दिक पटेल का दिल, पार्टी को पड़ेगा महंगा

नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ दिया है. हार्दिक ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं. तीन साल पहले कांग्रेस में शामिल होने वाले हार्दिक ने आखिर क्यों पार्टी को अलविदा कहा और अब उनके जाने …
नई दिल्ली: गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पाटीदार समुदाय के नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ दिया है. हार्दिक ने कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं. तीन साल पहले कांग्रेस में शामिल होने वाले हार्दिक ने आखिर क्यों पार्टी को अलविदा कहा और अब उनके जाने से गुजरात में क्या सियास सियासी असर पड़ेगा ये देखने वाली बात होगी। आपको बतादें कि कांग्रेस उदयपुर चिंतन शिविर में खुद को चुनौतियों के चक्रव्यूह से निकालने के लिए कई अहम बदलावों को लागू करने की घोषणा की थी,
जिसमें युवाओं को खास तवज्जो देने का भी प्रस्ताव शामिल हैं। इसके बाद भी कांग्रेस नेताओं में अभी भरोसा पैदा होता नहीं दिख रहा है,जिसका ताजा प्रमाण गुजरात के युवा नेता हार्दिक पटेल का कांग्रेस को छोड़ना है। हार्दिक अपने त्यागपत्र में कांग्रेस पर कई आरोप लगाए हैं और शीर्ष नेतृत्व पर भी सवाल खड़े किए हैं। गुजरात में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन सियासी सरगर्मिया तेज हैं और राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण बैठाने में जुटे हैं।
ऐसे में सूबे की चुनावी तपिश के बीच पाटीदार समुदाय के प्रमुख नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। गुजरात के सामाजिक समीकरण के लिहाज से हार्दिक का कांग्रेस छोड़ना बीजेपी के लिए बड़ा विकेट है, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर हार्दिक पटेल ने क्यों पार्टी छोड़ी और उनके जाने से पार्टी को किस तरह का नुकसान उठाना पड़ेगा?
हार्दिक पटेल की नाराजगी की वजह
पाटीदार आरक्षण आंदोलन से अपनी पहचान बनाने वाले हार्दिक पटेल काफी समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। हार्दिक ने साल 2019 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामा और फिर 2020 में प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष बन गए थे। पहली नाराजगी इस बात को लेकर थी कि वह पिछले दो साल से कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष हैं लेकिन उन्हें न कोई जिम्मेदारी दी जा रही है और न ही कोई राय मशवरा किया जाता है।
गुजरात कांग्रेस के महत्वपूर्ण फैसलों में उन्हें शामिल नहीं किया गया। गुजरात कांग्रेस में महासचिव और उपाध्यक्ष, जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के दौरान भी हार्दिक की राय नहीं ली गई. हार्दिक ने अपने साथ जिन नेताओं को लेकर कांग्रेस में आए थे, उन्हें भी खास तवज्जो नहीं मिली।