हल्द्वानी: कुमाऊं के इन शहरों का प्रदूषण खतरे के निशान के पार

हल्द्वानी:  कुमाऊं के इन शहरों का प्रदूषण खतरे के निशान के पार

हल्द्वानी, अमृत विचार। कुमाऊं के मैदानी क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता पूरी तरह से खराब हो चुकी है। हवा में पीएम 10 का औसत 100 से ज्यादा पहुंच गया है जो शरीर के लिये हानिकारक है। यहां वायु प्रदूषण पिछले कुछ सालों में बढ़ता जा रहा है। यह बीती बात हो गई कि उत्तराखंड के मैदानी …

हल्द्वानी, अमृत विचार। कुमाऊं के मैदानी क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता पूरी तरह से खराब हो चुकी है। हवा में पीएम 10 का औसत 100 से ज्यादा पहुंच गया है जो शरीर के लिये हानिकारक है। यहां वायु प्रदूषण पिछले कुछ सालों में बढ़ता जा रहा है।

यह बीती बात हो गई कि उत्तराखंड के मैदानी इलाकों की हवा अन्य शहरों की अपेक्षा ज्यादा साफ है। अब यहां भी वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के इस साल के अभी तक जारी किये गये आंकड़ों के अनुसार कुमाऊं मंडल में हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर शहरों की हवा सांस लेने के लिये सही नहीं है।

यहां हवा में वायु प्रदूषण के तत्व मानकों से भी ज्यादा पाये गये हैं। पीसीबी के इस साल जारी किये गये अभी तक के आंकड़ों के अनुसार हवा में वायु प्रदूषण के लिये अहम कारक पीएम 10 का औसत 100 से ज्यादा पाया गया है। जबकि इसका सही मानक 100 है। हालांकि, अभी पीएम 2.5 निश्चित मानकों के अंदर की पाया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार मैदानी इलाकों में लगातार बढ़ रही औद्योगिक गतिविधियों, वाहनों की बढ़ती संख्या की वजह से पीएम 10 और पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता जा रहा है।

ये होती हैं दिक्कतें
पीएम का मतलब पार्टिकुलेट मैटर (कणिका तत्व) होता है। जो हवा के अंदर मौजूद सूक्ष्म कणों को मापते हैं। पीएम 2.5 और 10 हवा में मौजूद कणों के आकार को दर्शाते हैं। यानी पार्टिकुलेट मैटर का आंकड़ा जितना कम होगा, हवा में मौजूद कण उतने ही छोटे होते हैं। पीएम 2.5 का स्तर धुंए से ज्यादा बढ़ता है। वहीं, पीएम 10 का मतलब होता है कि हवा में मौजूद कण 10 माइक्रोमीटर से भी छोटे हैं। वायु में पीएम 2.5 और 10 का स्तर बढ़ने के बाद सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन आदि की समस्या शुरू हो जाती है, सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों को आती है जो श्वास के मरीज और अस्थमा के मरीज है। इसके साथ ही लगातार खराब वायु में सांस लेने से लंग्स कैंसर की समस्या भी हो सकती है।

वायु में पीएम 10 और पीएम 2.5 का स्तर मानवों के लिये हानिकारक होता है। इसको रोकने के लिये प्रयास किये जाने चाहिये। ज्यादा पेड़ लगायें और प्रदूषण के कारकों को कम करें।

-डीके जोशी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, हल्द्वानी