सनातन संस्कृति के लिए आदि शंकराचार्य का योगदान अमूल्य : बाबा योगेंद्र

गोरखपुर। संस्कार भारती के संस्थापक मुख्य अतिथि बाबा योगेंद्र ने कहा कि सनातन संस्कृति के लिए आदि शंकराचार्य का योगदान अमूल्य रहा है। वह हिंदू धर्म-संस्कृति और उसमें अंतर्निहित दिव्य जीवन मूल्यों को युगानुकूल रूप से प्रस्तुत और पुन: परिभाषित करने वाले भाष्यकार थे। यह बातें बाबा योगेंद्र ने रविवार को एक होटल के सभागार …
गोरखपुर। संस्कार भारती के संस्थापक मुख्य अतिथि बाबा योगेंद्र ने कहा कि सनातन संस्कृति के लिए आदि शंकराचार्य का योगदान अमूल्य रहा है। वह हिंदू धर्म-संस्कृति और उसमें अंतर्निहित दिव्य जीवन मूल्यों को युगानुकूल रूप से प्रस्तुत और पुन: परिभाषित करने वाले भाष्यकार थे। यह बातें बाबा योगेंद्र ने रविवार को एक होटल के सभागार में भारती महानगर द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति में आद्य गुरु शंकराचार्य विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि के रूप लोगों को संबोधित करते हुए कही।
विशिष्ट वक्ता उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो द्वारका नाथ ने कहा कि आद्य गुरु शंकराचार्य का अवदान अतुलनीय है। धर्म दर्शन, संगठन तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में जगत गुरु शंकराचार्य की रचना चेतना ने भारतीय जनजीवन को प्रभावित किया है। अद्वैत दर्शन के आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा भारत के चारों दिशाओं में मठ की स्थापना कर विश्व सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए अतुलनीय योगदान दिया।
इसी क्रम में गोरखपुर विवि के गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष व योगानंद सोसायटी गोरखपुर के अध्यक्ष प्रो रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि संस्कृति के विकास में आदि गुरु शंकराचार्य का महतवपूर्ण योगदान था। गुरु शंकराचार्य का भारतीय संस्कृति एवं संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार एवं विकास में बहुत योगदान रहा है। संस्कार भारती के सह क्षेत्र प्रमुख वीरेंद्र गुप्त ने कहा कि आद्य गुरु के विचार उपदेश में आत्मा एवं परमात्मा की एकरूपता पर आधारित है। परमात्मा एक ही समय निर्गुण एवं सगुण दोनों स्वरूपों में रहते हैं।
इसके पूर्व अतिथियों ने आद्य गुरु के चित्र के सम्मुख पुष्प अर्पित कर दीप जलाए और संगोष्ठी का का विधिवत शुभारंभ किया।अतिथियों का स्वागत व परिचय अध्यक्ष सुधा मोदी ने किया। जबकि संस्था का परिचय संस्थापक सदस्य हरिप्रसाद सिंह ने किया। शंकराचार्य द्वारा लिखी आत्मश्ष्टकम वाचन डॉ. रोहित मिश्रा ने किया। विषय प्रवर्तन धुव्र कुमार श्रीवास्तव ने किया। जबकि हनुमत संगीत आश्रम के विद्यार्थी संगीत गुरु धर्मेंद्र श्रीवास्तव कि अगुवाई में संस्कार भारती का ध्येय गीत प्रस्तुत किया। संचालन प्रेम नाथ ने किया।
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