मुरादाबाद : पुलिस के गले की फांस बने कारोबारी कुशांक गुप्ता के कातिल

मुरादाबाद,अमृत विचार। कारोबारी कुशांक गुप्ता हत्याकांड जैसे पहेली बन गई है। चार महीने बाद 360 डिग्री घूमने के बाद पुलिस की विवेचना शून्य पर खड़ी है। इसका सीधा लाभ वह लोग उठा रहे हैं, जिनके उपर मृतक के परिजनों ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। मतलब साफ है कि कातिल की तलाश में कानून …
मुरादाबाद,अमृत विचार। कारोबारी कुशांक गुप्ता हत्याकांड जैसे पहेली बन गई है। चार महीने बाद 360 डिग्री घूमने के बाद पुलिस की विवेचना शून्य पर खड़ी है। इसका सीधा लाभ वह लोग उठा रहे हैं, जिनके उपर मृतक के परिजनों ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। मतलब साफ है कि कातिल की तलाश में कानून के साथ फिलहाल खाली हैं। पुलिस की विफलता से मृतक के परिजन ही नहीं, बल्कि पीड़ितों के पैरोकार भी दिशाभ्रम के शिकार हैं।
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के रामगंगा विहार कॉलोनी में 12 जनवरी की रात करीब साढ़े आठ बजे स्पोर्ट्स सामान के कारोबारी कुशांक गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। वारदात उनकी दुकान के बाहर अंजाम दी गई। कारोबारी की सनसनीखेज हत्या ने समूचे शहर को झकझोर दिया। भय और दहशत के माहौल में मृतक के पिता अशोक गुप्ता की तहरीर पर पुलिस ने बिजनौर के नूरपुर के रहने वाले हिमांशु गोयल और उसके भाई प्रयांशु गोयल के खिलाफ फौरीतौर पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया।
दोनों आरोपित कथित तौर पर घर पर सोते मिले। यह अलग बात है कि आरोप को आधार बनाकर सगे भाइयों को पुलिस ने जेल भेज दिया, लेकिन घटनास्थल से मिले साक्ष्य और सीसीटीवी फुटेज से मिले संकेत पर्दे के पीछे की कुछ और ही कहानी बयां कर रहे थे। दबी जुबान ही सही, लेकिन पुलिस ने माना कि जिन दो सगे भाइयों को कातिल बना कर वह कोर्ट में पेश किया गया, वह असल अभियुक्त नहीं हैं। असमंजस और उहापोह के हालात में खड़ी पुलिस की दशा को कोर्ट ने भी भांप लिया। 10 दिन पहले कत्ल के दोनों आरोपित ठोस साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिए गए।
सुलगते सवाल
कुशांक के असल कातिल की तलाश कर रही सिविल लाइंस पुलिस के सामने एक साथ कई सवाल हैं। अव्वल यह कि कुशांक की हत्या क्यों की गई? अमूमन किसी की हत्या के तीन ही कारण होते हैं। संपत्ति, रुपये का लेनदेन अथवा आशनाई या प्रेम संबंध। पुलिस की अब तक की जांच में ऐसा कोई ठोस सुराग नहीं मिला, जिससे की इन तीन बिंदुओं में से किसी भी एक को कारण माना जा सके। हालांकि कारणों की तलाश में कुशांक और उनके करीबियों के लगभग 900 मोबाइल नंबर की डिटेल खंगाला जा चुका है। फिर भी नतीजा सिफर है।
भाड़े के कातिल ने की हत्या
पुलिस की जांच व वारदात का तौर-तरीके से यह बात तो शीशे की तरह साफ हो गई है कि कातिल भाड़े का था। हत्या सुपारी किलर ने की थी। प्रोफेशनल तरीके से कुशांक की गतिविधि पर नजर रखी गई। मौका मिलते ही गोली कारोबारी के सिर में दाग दी गई। मास्क लगा कर वारदात अंजाम देने वाला कातिल पलक झपकते ओझल हो गया। घटना स्थल और उसके आसपास के लोकेशन की पूरी जानकारी शूटर को थी।
कौन है कुशांक का कातिल?
यह छिपी बात नहीं कि कारोबारी कुशांक एग्रेसिव प्रवृत्ति के थे। कारोबारी का अतीत बताता है कि उनके अक्खड़ स्वभाव के कारण ही छोटी-मोटी बात पर कुछ लोगों से कई बार तीखी नोंकझोंक हो चुकी थी। कुछ मामले तो पुलिस की चौखट तक भी पहुंचे। लेकिन, ऐसी घटनाएं कत्ल का सबब भी बन सकती हैं, यह यकीन किसी को नहीं है। असल कातिल को बेपर्दा करना पुलिस के लिए तब तक मुमकिन नहीं होगा, जब तक कि वह शूटर की तलाश नहीं कर लेती।
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