World Heritage Day 2022 : 18 अप्रैल को क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड हेरिटेज डे? जानें इतिहास और इस साल की थीम

नई दिल्ली। दुनिया भर में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस यानि ‘वर्ल्ड हेरिटेज डे’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद स्मारकों को संरक्षित करने के उपायों और लोगों को उनके जीवन में सांस्कृतिक और धरोहर के मूल्य को पहचानने के लिए प्रोत्साहित व जागरूकता करना होता है। वर्ल्ड हेरिटेज डे …
नई दिल्ली। दुनिया भर में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस यानि ‘वर्ल्ड हेरिटेज डे’ मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद स्मारकों को संरक्षित करने के उपायों और लोगों को उनके जीवन में सांस्कृतिक और धरोहर के मूल्य को पहचानने के लिए प्रोत्साहित व जागरूकता करना होता है।
वर्ल्ड हेरिटेज डे 2022 की थीम
हर वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज डे को मनाने की एक अलग थीम होती है। इस साल मनाए जा रहे विश्व धरोहर दिवस की थीम है धरोहर और पर्यावरण। ICOMOS (International Council on Monuments and Sites) ने इस बार सरकारी, गैरसरकारी और तमाम संस्थाओं को सारे कार्यक्रम इसी थीम के इर्द-गिर्द करने की अपील की है। इस बार की थीम विरासत की रक्षा के लिए जलवायु और समानता को प्राथमिकता देने की बात करता है। आज यह दिन यह दिन “विरासत और जलवायु” विषय के तहत मनाया जा रहा है।

वर्ल्ड हेरिटेज डे का इतिहास
साल 1982 में अंतर्राष्ट्रीय परिषद और स्मारक और स्थल (International Council on Monuments and Sites) ने प्राचीन संस्कृति और उसके ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए इस दिन को मनाने का सुझाव दिया था। जिसके बाद स्टॉकहोम में आयोजित हुए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पारित कर दिया गया। इसके बाद यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की स्थापना हुई और 18 अप्रैल 1978 में विश्व स्मारक दिवस के तौर पर इस दिन को मनाने की शुरुआत हुई। उस दौरान विश्व में कुल 12 स्थलों को ही विश्व स्मारक स्थलों की सूची में शामिल किया गया था। बाद में 18 अप्रैल 1982 को ट्यूनीशिया में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ ने सबसे पहले विश्व धरोहर दिवस मनाया। फिर 1983 नवंबर माह में यूनेस्को ने स्मारक दिवस को ‘विश्व धरोहर दिवस’ (वर्ल्ड हेरिटेज डे) के तौर पर मनाने का ऐलान किया।

वर्ल्ड हेरिटेज डे का महत्व
विश्व धरोहर दिवस (वर्ल्ड हेरिटेज डे) के महत्व की तो हर देश का अपने अतीत और उस अतीत से जुड़ी कई सारी गौरव गाथा है। इन गौरव गाथा की कहानी बयां करती हैं वहां स्थित तात्कालिक समय के स्मारक और धरोहरें। इस दिन का लक्ष्य और महत्व ऐतिहासिक स्मारकों और स्थानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक अखंडता को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इतनी समृद्ध और विविध संस्कृति के प्रति ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम न केवल इस विरासत को संजोएं बल्कि इसे नुकसान पहुंचने से भी बचाएं।
वर्ल्ड हेरिटेज डे मनाने का तरीका
दुनियाभर में बहुत सारे संगठन हैं, जो धरोहरों के संरक्षण पर काम कर रहे हैं। विश्व विरासत दिवस को यह संगठन अपने अपने तरीके से मनाते हैं। हेरिटेज वाॅक और फोटो वाॅक आदि का इस दिन आयोजन होता है। लोग धरोहरों की यात्रा पर जाते हैं। उनके संरक्षण की शपथ लेते हैं। लोगों को उनके देश की धरोहरों को लेकर जागरूक किया जाता है।

भारत की विश्व धरोहर
भारत की पहली विश्व धरोहर महाराष्ट्र में स्थित एलोरा की गुफाएं हैं। वर्तमान में भारत में 40 विश्व धरोहरे हैं। यूनेस्को ने जिन 40 विश्व धरोहरों को घोषित किया है,उसमें सात प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और एक मिश्रित स्थल हैं। भारत का 39 वां और 40 वां क्रमश: कालेश्वर मंदिर तेलंगाना और हड़प्पा सभ्यता का शहर धोलावीरा है। महाराष्ट्र में पांच यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं।
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