बाराबंकी: गेहूं के बाजार का चढ़ा भाव, सरकारी केंद्रों पर पसरा सन्नाटा

बाराबंकी: गेहूं के बाजार का चढ़ा भाव, सरकारी केंद्रों पर पसरा सन्नाटा

बाराबंकी। गेहूं खरीद को शुरू हुए करीब दो सप्ताह बीत चुके है, लेकिन केंद्रों पर बोहनी तक नहीं हो सकी है। तैयारियों के पूर्ण होने के दावों के साथ केंद्रों पर प्रभारी किसान के इंतजार में सारा वक्त गुजार रहे है, लेकिन सरकारी कांटे की तरफ किसानों ने रुख नहीं किया है। दो दिन में …

बाराबंकी। गेहूं खरीद को शुरू हुए करीब दो सप्ताह बीत चुके है, लेकिन केंद्रों पर बोहनी तक नहीं हो सकी है। तैयारियों के पूर्ण होने के दावों के साथ केंद्रों पर प्रभारी किसान के इंतजार में सारा वक्त गुजार रहे है, लेकिन सरकारी कांटे की तरफ किसानों ने रुख नहीं किया है। दो दिन में गिरे बाजार भाव से बोहनी की उम्मीद जगी थी, लेकिन फिर चढ़े बाजार भाव ने पानी फेर दिया है।

दरियाबाद में पीसीएफ़ व विपणन के मथुरानगर मिलाकर आधा दर्जन गेंहू खरीद केंद्र खोले गए है। एक अप्रैल से खुले केंद्रों पर बोहनी तक नहीं हो सकी है। दो सप्ताह बीतने के बाद जहां फसल खेतों से कटकर किसानों के घर तेजी से पहुंच रही है। आढ़तियों से लेकर मिल तक रौनक छाई है, वहीं सरकारी केंद्र पर सन्नाटा बरकरार है। दो दिन पहले 1985 रुपये प्रति क्विंटल से गेंहू का दाम घटकर 1850 हो गया।

बाजार भाव व सरकारी मूल्य में 155 रुपये का अंतर आने पर केंद्र प्रभारियों के चेहरे थोड़ा खिल गए। उन्हें उम्मीद जगी कि दो सप्ताह बाद अब बोहनी हो पाएगी। लेकिन शुक्रवार को बाजार भाव में अचानक 100 रुपये प्रति क्विंटल की उछाल दर्ज हुई। जिसके बाद फिर किसान केंद्र की बजाय आढ़त पर रुख कर गए। किसानों के मुताबिक सरकारी से बाजार भाव बेहतर है।

वहां छनाई, तौलाई के अलावा कई तरह से नुकसान होगा। बाजार में धर्मकांटे से बिक्री कर नकद धनराशि हाथ में आ जा रही है। पीसीएफ रेलवे स्टेशन के सचिव श्रीराम व मथुरानगर के राम बहादुर ने बताया कि कई किसानों से संर्पक किया गया। अभी तक कोई गेंहू लेकर नहीं आया है। बाजार भाव में गिरावट न होने से भी यह हालत है।

केंद्र पर नजर नहीं आ रहे किसान
बाजार भाव व सरकारी दर में मामूली अंतर होने के कारण किसान इस बार पंद्रह दिन बीतने के बाद भी केंद्रों पर नहीं पहुंचे है। बाजार व सरकारी मूल्य में अंतर होने पर उत्पादन बेचने में होने वाली मारामारी इस बार नजर नहीं आ रही है। हालत यह है कि केंद्रों पर कोई पूछने तक नहीं आ रहा है। टोकन लेने की बात छोड़िए, केंद्र पर सरकारी दाम जानने के बाद दोबारा किसान इस वक्त लौट कर नहीं आ रहे है। ज्यादातर किसान बाजार भाव पर आढ़तियों व मिलों में गेंहू तैयार होने के साथ बेंच दे रहे है।

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