नई चुनौतियां

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में दोनों तरफ से लोग मारे जा रहे हैं। युद्ध ने न केवल सैन्य बल्कि नागरिक बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचाया है। युद्ध का भारत और दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में …
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में दोनों तरफ से लोग मारे जा रहे हैं। युद्ध ने न केवल सैन्य बल्कि नागरिक बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचाया है। युद्ध का भारत और दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर पड़ रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि युद्ध के कारण पैदा हुई स्थितियों में देश के लोगों को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती लागत से बचाने की जरूरत है। सभी देशों की तरह, हम भी निहितार्थों का आकलन कर रहे हैं और तय कर रहे हैं कि हमारे राष्ट्रीय हित के लिए सबसे अच्छा क्या है।
जटिल एवं वैश्वीकृत दुनिया में हर देश एक दूसरे पर निर्भरता की वास्तविकता को समझता है। वास्तव में सभी देश ऐसी नीति बना रहे हैं जो उनकी आबादी की भलाई की रक्षा करती है। ऐसे में ध्यान देने वाली बात है कि मंगलवार को जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से बात की। यह वार्ता ऐसे वक्त हुई है जब रूस से बड़ी मात्रा में रियायती कच्चा तेल खरीदने के भारत के संकेत पर पश्चिमी देशों के बीच बेचैनी बढ़ गई है।
भारत यूक्रेन-रूस संघर्ष के पूरी तरह खिलाफ है और इस मामले में शुरू से ही तटस्थ रहने की कोशिश की। चूंकि भारत एक ही समय पर रूस और यूक्रेन- दोनों देशों की तरफ झुक नहीं सकता था। 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन और 26 फरवरी को यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की से प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर बातचीत के दौरान “संवाद,” “हिंसा ख़त्म करने,” और भारतीय नागरिकों की “सुरक्षा” और उनको “सुरक्षित बाहर निकालने और वापसी” की बात की।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी 25 फरवरी को मीडिया से बातचीत में इन्हीं बातों को दोहराया। इसके बाद चर्चा इस विषय पर केंद्रित होने लगी कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की वोटिंग का बहिष्कार किया। अब जब यूक्रेन के बुचा में ढेरों शव मिलने की विश्व भर में निंदा की जा रही है।
भारत ने भी घटना की स्वतंत्र जांच कराने के आह्वान का समर्थन किया है। ध्यान रहे वैश्विक मंच पर टकरावों से भरी भू-राजनीति का दौर जारी है। ऐसे में मौजूदा संकट भारत के लिए कूटनीतिक तौर पर चुनौतीपूर्ण है। यूक्रेन की स्थिति के संबंध में भारत के कदमों को राजनीतिक रंग देने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण ही है।
रुस, चीन और पाकिस्तान के बीच एक नए तरीके के गठबंधन की स्थिति बन रही है। इसको लेकर भारत को सतर्क रहना चाहिए और सुरक्षा के मोर्चे पर उभरती नित नई चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी रक्षा तैयारियों को तेज करना होगा। अच्छी बात है कि भारत का रुख संवाद बढ़ाने पर अपने और दुनिया के देशों के लिए आर्थिक संकट को कम करने पर है।