मिसाल: नहीं सुनी होगी संघर्ष की ऐसी कहानी, जिसकी बदौलत पिथौरागढ़ के मनोज बने नौ सेना में सब लेफ्टिनेंट

मिसाल: नहीं सुनी होगी संघर्ष की ऐसी कहानी, जिसकी बदौलत पिथौरागढ़ के मनोज बने नौ सेना में सब लेफ्टिनेंट

हल्द्वानी, अमृत विचार। संघर्ष और जुनून के दम पर पहाड़ के लाल मनोज भट्ट ने राज्य का नाम रोशन किया है। मूल रूप से गांव कार्की, कुमडार और हाल निवासी कुशौली पिथौरागढ़ मनोज भट्ट का भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट के पद पर प्रमोशन होने पर गांव में खुशी का माहौल है। सब लेफ्टिनेंट बने …

हल्द्वानी, अमृत विचार। संघर्ष और जुनून के दम पर पहाड़ के लाल मनोज भट्ट ने राज्य का नाम रोशन किया है। मूल रूप से गांव कार्की, कुमडार और हाल निवासी कुशौली पिथौरागढ़ मनोज भट्ट का भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट के पद पर प्रमोशन होने पर गांव में खुशी का माहौल है।

सब लेफ्टिनेंट बने मनोज भट्ट के पिता स्व. कृष्णानंद भट्ट भी भारतीय सेना में हवलदार पद पर सेवारत थे। 1995 में सेवाकाल के दौरान उनका आकस्मिक निधन हो गया था। उस समय मनोज की उम्र मात्र आठ वर्ष थी। दो बहनों के संग इनका लालन-पालन मां स्व. माधवी भट्ट ने गाय का दूध बेचकर किया। पढ़ाई के साथ-साथ मनोज घर के पास ही फौजी अधिकारियों के घरों में दूध पहुंचाने का काम करने लगे। विषम परिस्थितियों के दौरान भी मन में देश सेवा का जज्बा पाले मनोज ने घर -घर जाकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया।

सैन्य पृष्ठभूमि वाले मनोज का वर्ष 2007 में बीएससी प्रथम वर्ष में ही भारतीय नौसेना में सैनिक पद पर चयन हो गया। पदोन्नति के सोपान चढ़ते -चढ़ते वर्ष 2020 में मास्टर चीफ (भारतीय सेना में सूबेदार) बने और विशेष ट्रेनिंग लेकर गोताखोर दस्ते के भी सदस्य बन गए। मनोज की पत्नी भी एनसीसी का सी सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुकी हैं। एक अप्रैल को मनोज भारतीय नौसेना में सब लेफ्टिनेंट बन गए हैं।