ऐतिहासिक समझौता

ऐतिहासिक समझौता

असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को दोनों राज्यों के 50 साल पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन विवादमुक्त पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक दिन है। विवाद की 12 जगहों में से छह पर असम …

असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने मंगलवार को दोनों राज्यों के 50 साल पुराने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन विवादमुक्त पूर्वोत्तर के लिए ऐतिहासिक दिन है। विवाद की 12 जगहों में से छह पर असम और मेघालय के बीच समझौता हुआ है।

सीमा की लंबाई की दृष्टि से देखें तो लगभग 70 प्रतिशत सीमा विवाद मुक्त हो गई है। 36.79 वर्ग किमी भूमि के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के अनुसार, असम 18.51 वर्ग किमी भूमि रखेगा और शेष 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा। उम्मीद है इस समझौते से क्षेत्र में रहने वाले लोगों को लाभ होगा क्योंकि दूरगामी शांति सुनिश्चित होगी और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

विवाद की शुरुआत 1972 में हुई थी जब मेघालय को असम से अलग कर दिया गया था। सीमा विवाद के कारण दोनों राज्यों के बीच हिंसक झड़पें भी हो चुकी हैं। 14 मई 2010 को असम के कामरूप की सीमा से सटे पश्चिमी खासी हिल्स के लैंगपीह में असम पुलिस की गोलीबारी में खासी समुदाय के चार ग्रामीण मारे गए थे। 26 जुलाई 2021 को हुई भीषण हिंसा में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी और दोनों राज्यों के लगभग 100 लोग और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।

समझा जा सकता है जब तक राज्यों के बीच विवाद नहीं सुलझते और सशस्त्र समूह आत्मसमर्पण नहीं करते तब तक पूर्वोत्तर का विकास संभव नहीं है। हालांकि 2019 से 2022 तक 6900 से ज्यादा हथियारबंद कैडर ने आत्मसमर्पण किया और लगभग 4800 से ज्यादा हथियार प्रशासन के सामने सरेंडर किए गए। 2019 से 2022 तक केंद्र ने उत्तर पूर्व में शांति स्थापित करने में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं।

अगस्त 2019 में एनएफएलटी समझौता, जनवरी 2020 को ब्रू समझौता, जनवरी 2020 को बोडो समझौता, सितंबर 2021 को कारबी आंगलॉग समझौता और अब ये असम-मेघालय सीमा समझौता किया गया है। वास्तव में यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध पूर्वोत्तर के विजन की पूर्ति की दिशा में यह एक और मील का पत्थर साबित होगा। दरअसल अंतर्राज्यीय सीमा संबंधी मुद्दों को केवल संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से सुलझाया जा सकता है। असम और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने जिस दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है उसी प्रकार सभी राज्यों के साथ चर्चा करके उत्तर-पूर्व को विवादमुक्त बनाया जा सकता है। यह समझौता सहकारी संघवाद का उदाहरण है और राज्यों के बीच अन्य सीमा विवादों के समाधान के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगा।