लखनऊ: अधिकारियों के सानिध्य में फल-फूल रहा भ्रष्टाचार, कर्मचारी चला रहे प्रॉपर्टी का गोरख धंधा

लखनऊ। राजधानी के आवास विकास के कर्मचारियों और दलालों के मिलीभगत से प्रापर्टी का गोरखधंधा चल रहा है। प्रापर्टी के धंधे में लगे दलाल सम्पत्ति कार्यालयों के बाबुओं के सीधे संपर्क में हैं। अपने काम के लिए कार्यालय आने वाले ग्राहकों को बाबू तक पहुंचाने का काम दलाल बखूबी निभा रहे हैं। जिसके कारण सम्पत्ति …
लखनऊ। राजधानी के आवास विकास के कर्मचारियों और दलालों के मिलीभगत से प्रापर्टी का गोरखधंधा चल रहा है। प्रापर्टी के धंधे में लगे दलाल सम्पत्ति कार्यालयों के बाबुओं के सीधे संपर्क में हैं। अपने काम के लिए कार्यालय आने वाले ग्राहकों को बाबू तक पहुंचाने का काम दलाल बखूबी निभा रहे हैं। जिसके कारण सम्पत्ति कार्यालयों के बाहर दिन भर दलाली का खेल चल रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारियों के सानिध्य में यह भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है।
दलालों के इशारे पर काम के लिए आने वाले लोगों को बाबुओं द्वारा खूब दौड़ाया जाता है, जिससे थक हार के लोग दलालों का सहारा लेते हैं। डील होने के बाद दलाल ही बाबुओं तक ग्राहकों को पहुंचाकर उनका काम कराकर मोटी रकम वसूलते हैं। जो दलालों के साथ बाबू और अधिकारियों के बीच बंदर बांट की जाती है। आलम यह है कि फर्जी रसीद लगाकर परिषद से करोड़ों रुपये की धनराशि रिफंड लेने का मामला दलालों और बाबुओं के बीच मजबूत गठजोड़ का नतीजा है।
वृंदावन योजना के सेक्टर नौ स्थित आवास विकास कार्यालय में वृंदावन योजना, अवध विहार, इंदिरा नगर, आम्रपाली और राजाजीपुरम सम्पत्ति कार्यालयों के साथ निर्माण खंड कार्यालय भी हैं। सम्पत्ति कार्यालयों में लोगों की ज्यादा भीड़ लगती है। आवंटियों के साथ प्रापर्टी डीलरों का भी यहां दिन भर जमावड़ा रहता है। दलाल बाबू के पास ग्राहक भेजते हैं तो डीलर भी बाबू के माध्यम से आवंटी का काम कराते हैं।
इस काम में मोटा मुनाफा देखते हुए सम्पत्ति कार्यालय में तैनात कई बाबू भी प्रापर्टी के धंधे में उतर गए हैं। कुछ बाबुओं ने तो योजना में ही बाकायदा अपना कार्यालय तक खोल रखा है। इसमें उन्हें उच्चाधिकारियों का भी संरक्षण मिलता है। किसी भी प्रापर्टी के बारे में वह पहले ही जानकारी कर अपने खास प्रापर्टी डीलरों को जानकारी दे देते हैं। जिससे आम जनता से पहले ही प्रापर्टी डीलर अधिकारियों से साठ-गांठ कर प्रापर्टी खुद खरीद लेते हैं। जिसे बाद में मोटा मुनाफा लेकर बेच देते हैं।
कार्यालय के बाहर दिन भर दलालों का जमावड़ा
वृंदावन योजना कार्यालय के बाहर दिन भर दलालों का जमावड़ा लगता है। उनकी पैठ अंदर तक बनी रहती है। प्रापर्टी डीलर बाबुओं की मिलीभगत से से खाली प्रापर्टी या आवंटी की सूची निकाल लेते हैं। बाबुओं और दलालों का गठजोड़ इतना मजबूत है कि उनके बिना किसी का काम नहीं होता है। बाबू कार्यालय का काम संभालता है तो दलाल बाहर ग्राहकों के संपर्क में बने रहते हैं।
भ्रष्ट अधिकारियों की महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती
आवास विकास के सम्पत्ति कार्यालयों में भ्रष्ट कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों को तैनाती दी जाती है। यहां तैनाती पाने के लिए बाबू से लेकर अधिकारी ऊंची सिफारिश लगाते हैं। अवध विहार सम्पत्ति कार्यालय में तैनात सम्पत्ति प्रबंधक हरिमोहन से लेकर उप आवास आयुक्त डॉ अनिल कुमार पर इससे पहले भी कार्रवाई हो चुकी है। उप आवास आयुक्त डॉ. अनिल कुमार को शासन ने महत्वपूर्ण पद पर तैनाती देने से मना किया था। बावजूद सिफारिश के बल पर मलाईदार पद पर लगातार बने हुए थे।
जांच प्रभावित कर रहे निलंबित अधिकारी
भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित चल रहे उप आवास आयुक्त से लेकर सम्पत्ति प्रबंधक मुख्यालय में संबद्ध किए गए हैं। जिन अधिकारियों के पास इनकी जांच का जिम्मा है उनके साथ ही इनका रोज उठना बैठना है। जिससे निष्पक्ष जांच हो पाना मुश्किल है। विभागीय जांच में कई मामलों में दोषी कर्मचारी से लेकर अधिकारी सिफारिश के बल पर बच निकले हैं। ऐसे में विभाग उच्चाधिकारी किसी बाहरी एजेंसी के जांच कराएंगे तभी दोषियों पर निष्पक्ष कार्रवाई हो पाएगी।
पिछले 10 सालों में आवंटित प्रापर्टी की जांच करायी जाएगी। जो बाबू प्रापर्टी के धंधे में लगे हैं उन्हें भी जांच के दायरे में लाया जाएगा। जांच प्रभावित ना हो इसलिए उप आवास आयुक्त की आईएएस स्तर के अधिकारी जांच कर रहे हैं…अजय चौहान, आवास आयुक्त, उप्र आवास एवं विकास परिषद।