नागरिकों की चिंता

रूस के हमलों के कारण यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे ‘आपरेशन गंगा’ के तहत वहां से भारतीयों को निकाला जा रहा है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को बताया कि लगभग 1000 नागरिकों को रोमानिया और हंगरी के रास्ते निकाला जा चुका है। …
रूस के हमलों के कारण यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए सरकार की ओर से चलाए जा रहे ‘आपरेशन गंगा’ के तहत वहां से भारतीयों को निकाला जा रहा है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रविवार को बताया कि लगभग 1000 नागरिकों को रोमानिया और हंगरी के रास्ते निकाला जा चुका है। 1000 अन्य को लैंड रूट के माध्यम से यूक्रेन से निकाला गया है।
वास्तव में यूक्रेन में हमलों के बीच फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा गंभीर चिंता का विषय बन गई है। ऐसे में इनके परिजनों का परेशान होना स्वाभाविक है। लगातार मिसाइलों के धमाकों, गोलियों की आवाज और टैंकों की गड़गड़ाहट के बीच भारतीय नागरिक जिस संकट और मानसिक वेदना से गुजर रहे हैं, उसकी कल्पना भर से रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की ओर से एडवायजरी जारी करने के बाद भारत के चार हजार नागरिक संघर्ष से पहले ही यूक्रेन से बाहर चले गए थे। सरकार का अनुमान था कि लगभग पंद्रह हजार भारतीय नागरिक युद्ध ग्रस्त यूक्रेन में फंस गए थे। एयरस्पेस बंद हो गए, इसलिए हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया और रोमानिया से जमीनी रास्ते से निकलने के स्थानों की पहचान की गई।
अब भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के प्रयास में कामयाबी मिल रही है। इनमें अधिकतर छात्र-छात्राए΄ं हैं। सबसे पहले शुक्रवार को भारतीय छात्रो΄ं का पहला दल यूक्रेन की सीमा से निकलकर रोमानिया पहुंचा था। कहा जा सकता है कि यूक्रेन में आने वाले दिनों की आशंका के बावजूद सरकार देर से चेती।
जबकि अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश तो पहले ही अपने नागरिकों को बचाने के काम में जुट गए थे। सरकार जो कदम अब उठा रही है, वे अगर एक पखवाड़े पहले उठा लिए जाते तो आज जैसे हालात नहीं बनते। ऐसा नहीं कि हमारे पास अनुभव या संसाधनों का अभाव है, पर नीतिगत स्तर पर होने वाले फैसलों में देरी की वजह से सवाल खड़े होना लाजमी हैं।
ऐसे ही संकट भरे दौर में भारत ने पहले भी दूसरे देशों से अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी करवाई है। पिछले साल तालिबान के सत्ता हथियाने के बाद अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों का मामला रहा हो या इराक में फंसे अपने नागरिकों को बचाने का अभियान हो, सरकार ने इन कामों को बखूबी किया था। तीन दशक पहले इराक ने जब कुवैत पर हमला कर दिया था, तब भी कुवैत में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया था।