अयोध्या में इस बार ‘लहर’ और अंडर करंट’ दोनों नदारद, जिले में मंदिर और राम भरोसे है बीजेपी

अयोध्या। 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव के माहौल की अपेक्षा इस बार ‘लहर’ और ‘अंडर करंट’ दोनों नदारद हैं। 2017 में जिले की सभी पांच सीटों पर काबिज होने वाली भाजपा इस विधान सभा चुनाव में कमोबेश राम भरोसे जूझ रही है। अयोध्या सीट पर तो अयोध्या और राम मंदिर की लाज …

अयोध्या। 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव के माहौल की अपेक्षा इस बार ‘लहर’ और ‘अंडर करंट’ दोनों नदारद हैं। 2017 में जिले की सभी पांच सीटों पर काबिज होने वाली भाजपा इस विधान सभा चुनाव में कमोबेश राम भरोसे जूझ रही है। अयोध्या सीट पर तो अयोध्या और राम मंदिर की लाज बचाने के नाम पर वोट मांगा जा रहा है, और इसमें संघ व विहिप परिवार पूरी तरह से जुट गया है।

फैजाबाद को अयोध्या बनाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सबकी निगाहें टिकी थीं, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें गोरखपुर से चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया गया। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने पुराने प्रत्याशियों पर भरोसा जताते हुए सीटिंग एमएलए को रिपीट कर दिया। यहां तीन सीटों पर मुकाबला भाजपा व सपा के बीच है, जबकि दो सीट पर लड़ाई त्रिकोणीय नजर आ रही है।

छुट्टा पशुओं के आतंक से लेकर बेरोजगारी और महंगाई जैसे ज्वलंत मुद्दों ने यहँ भी सियासी हवा का रुख काफी बदल दिया है। माना जा रहा है कि धीरे-धीरे आम जनमानस में धार्मिक उन्माद का ज्वार भी मध्यम पड़ा है। ऐसे में 2017 में अयोध्या जिले की सभी सीटों पर अपनी विजय पताका लहराने वाली भाजपा की चुनावी नैया का पर पाना बहुत आसान नहीं रह गया है।

यही वजह है कि चौथे चरण के मतदान और पांचवें चरण के नजदीक पहुंचते-पहुंचते भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने एक बार फिर राम मंदिर का राग अलापना शुरू कर दिया है, जबकि चुनाव का ऐलान होने के बाद यही भाजपा नेता प्रदेश और केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाकर झोली फैला रहे थे।

अयोध्या विधानसभा सीट से भाजपा के वेद प्रकाश गुप्त मैदान में हैं। इनके हक में भाजपा के स्टार प्रचार करने पहुंच रहे हैं। अब जो भी नेता आ रहा है कि वह सिर्फ राम मंदिर निर्माण की ही बात कर रहा है। वेद प्रकाश गुप्त की सीधी टक्कर समाजवादी पार्टी के तेज नारायण पांडे पवन से है। यहां भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए पार्टी कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती।

मतदाताओं में राम मंदिर का प्रसाद व राम रज बांटा जा रहा है। बड़े-बड़े नेता उनके हक में प्रचार करने आ रहे हैं, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की अयोध्या विधानसभा स्थित क्षत्रिय बोर्डिंग में हुई जनसभा को देखकर यही लगता है कि राम को कुछ और ही मंजूर है। दरअसल, नड्डा की जनसभा में अपेक्षाकृत भीड़ ही नहीं पहुंची, जिसके बाद भाजपाइयों के फरवरी में ही पसीने छूट गए और उन्होंने प्रचार के दौरान फिर से मंदिर कार्ड खेलना शुरू कर दिया है।

हाल ही में पांचवें चरण के चुनाव के प्रचार का आगाज करने अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर व बीकापुर विधानसभा पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भाषण भी राम मंदिर निर्माण के इर्द-गिर्द रहा। यही नहीं कल्याण सिंह के बेटे समेत अन्य महाराथियों ने भी राम मंदिर के सहारे भाजपा के पांचवें चरण की बैतरणी पार लगाने में जुटे हैं।

रूदौली विधानसभा

भाजपा प्रत्याशी रामचंद्र यादव इस बार हैट्रिक लगाने की कोशिश में दिन-रात एक कर रहे हैं। अभी तक उनका मुकाबला सिर्फ सपा के अब्बास अली जैदी रुश्दी मियां से ही रहता था, लेकिन इस बार रुश्दी का टिकट कटने के बाद वह बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। सपा ने यहां से रामचंद्र के गुरु मित्रसेन यादव के बेटे को टिकट दिया है। मैदान में तीनों धाकड़ प्रत्याशियों के उतरने के बाद यहां मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है।

मिल्कीपुर विधानसभा (सु)

पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 28 हजार से अधिक मतों से जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा के सामने इस बार चुनौतियों का पहाड़ है। सपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद यहां पिछली बार हारने के बाद बावजूद बैठे नहीं। वह आए दिन मिल्कीपुर में ही डेरा डाले रहते थे और भाजपा नीतियों का जमकर विरोध भी किया करते थे। हालांकि यहां भाजपा प्रत्याशी के हक में योगी प्रचार कर चुके हैं।

गोसाईगंज विधानसभा

पांचों विधानसभाओं में अति संवेदनशील विधानसभा गोसाईगंज ही है। क्योंकि यहां दो बाहुबलियों के बीच मुकाबला है। हालांकि यहां के भाजपा विधायक रहे इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू जेल में निरुद्ध हैं, जिसके बाद पार्टी ने उनकी पत्नी आरती तिवारी को मैदान में उतारा है। सपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक अभय सिंह भी दिन रात एक किए हैं। कई बार दोनों प्रत्याशियों के समर्थकों में गोलीबारी भी हो चुकी है। यहां भाजपा प्रत्याशी आरती तिवारी के पक्ष में सहानुभूति का अंडर करंट देखा जा रहा है। वर्चस्व की जंग का अंत यहां अब 10 मार्च को ही होगा।

बीकापुर विधानसभा

सबसे अधिक प्रत्याशियों वाली विधानसभा बीकापुर में भी लड़ाई त्रिकोणीय नजर आ रही है। यहां पार्टी ने विधायक शोभा सिंह चौहान के पुत्र डॉ. अमित चौहान को टिकट देकर उन्हें विरासत सौंपी है, लेकिन यहां मुकाबला दिलचस्प नजर आ रहा है। क्योंकि यहां सपा ने फिरोज खान गब्बर को उतारा है, जो 2012 के चुनाव में बसपा की टिकट पर सपा प्रत्याशी मित्रसेन यादव से महज 1868 वोट हारे थे। वहीं बसपा ने यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी को उतार हवा स्थिति प्रतिकूल कर दी है। देवकाली मंदिर अयोध्या के महंत सुनील पाठक जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं।

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