कानपुर: हाईकोर्ट ने एलएमएल को दिया हजारों श्रमिकों के बकाया भुगतान का आदेश

कानपुर: हाईकोर्ट ने एलएमएल को दिया हजारों श्रमिकों के बकाया भुगतान का आदेश

कानपुर। स्कूटर, मोटरसाइकिल बनाने वाली फैक्टरी एलएमएल (लोहिया मशींस लिमिटेड) के मजदूरों का बकाया भुगतान के लिए हाईकोर्ट ने आदेश पारित किए हैं। बकाया रकम 219 करोड़ बतायी जाती है। यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस जयंत बनर्जी ने दिया है। एलएमएल कानपुर की बड़ी इंडस्ट्री थी। सात मार्च 2006 श्रम अशांति और भारी घाटे …

कानपुर। स्कूटर, मोटरसाइकिल बनाने वाली फैक्टरी एलएमएल (लोहिया मशींस लिमिटेड) के मजदूरों का बकाया भुगतान के लिए हाईकोर्ट ने आदेश पारित किए हैं। बकाया रकम 219 करोड़ बतायी जाती है। यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जस्टिस जयंत बनर्जी ने दिया है। एलएमएल कानपुर की बड़ी इंडस्ट्री थी। सात मार्च 2006 श्रम अशांति और भारी घाटे के कारण फैक्टरी बंद कर दी गयी।तब यह उद्योगपति दीपक सिंहानिया के नियंत्रण में थी। वही मालिक थे। बंदी के बाद में लिक्वीडेटर बैठा दिया गया। फैक्टरी के 2,016 स्थायी श्रमिकों का ले-ऑफ, वेतन व अन्य भत्ते बकाया है। यह विवाद 15 अप्रैल 2007 से 22 मार्च 2016 तक के बकाए का है।

श्रमिकों के बकाये की अदालती लड़ाई लड़ने वाले एलएमएल मजदूर एकता संगठन के सरंक्षक विष्णु शुक्ला ने बताया कि 2008 में औद्योगिक न्यायाधिकरण यूपी कानपुर में मामला दायर किया गया था। न्यायाधिकरण ने दोनों का पक्ष सुनने के बाद मालिकों की बात खारिज कर दिया। यह 219 करोड़ बकाए का मामला श्रमायुक्त के समक्ष दायर किया गया। श्रमिकों के पक्ष में मामला जाते देखकर लिक्विडेटर अरुण गुप्ता बाद में एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में मामले को ले गए।

एनसीएलटी ने कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। एनसीएलटी ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। विष्णु शुक्ला बताते हैं कि कुल मिलाकर स्थायी व अस्थायी रूप से 6,337 श्रमिकों को बकाया भुगतान प्राथमिकता के आधार पर करने का आदेश दिया। कोर्ट की कॉपी दिखाते हुए विष्णु ने कहा कि इनसॉलवेंसी-बैंकरप्ट्सी कानून जिसे दिवालिया कानून भी कहा जाता है, के तहत 15.4.2007 से लेकर 2018 तक का वेतन भत्ता व अन्य देय हितलाभ का भुगतान श्रमिको को किया जाए।

विष्णु शुक्ला ने बताया कि लिक्वीडेटर सुप्रीमकोर्ट जा सकते हैं। इस आशंका के मद्देनजर सुप्रीमकोर्ट में कैविएट दाखिल किया जा चुका है। एडवोकेट अमिय शुक्ला ने कैविएट दाखिल कराया है। बहस की नौबत आती है तो सुप्रीमकोर्ट के प्रख्यात वकील कॉनिल गोंसालविज श्रमिकों की ओर से तर्क रखने को पेश होंगे। इस संदर्भ में लिक्वीडेटर अरुण गुप्ता से फोन पर बात करने का प्रयास किया गया पर बात नहीं हो सकी।

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