उत्तराखंड का ऐसा धाम, जहां खुलते हैं बंद किस्मत के ताले, एप्पल और फेसबुक के मालिक भी पहुंचे थे यहां

उत्तराखंड का ऐसा धाम, जहां खुलते हैं बंद किस्मत के ताले, एप्पल और फेसबुक के मालिक भी पहुंचे थे यहां

भारत का आध्यात्मिक ज्ञान सदियों से देश- दुनिया के लिए आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र रहा है। भारत के संतों की महिमा भी अपरंपार है। यही वजह है कि देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग संतों के दरबार और शक्तिपीठों में सिर नवाने पहुंचते हैं। ऐसा ही एक धाम है उत्तराखंड का …

भारत का आध्यात्मिक ज्ञान सदियों से देश- दुनिया के लिए आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र रहा है। भारत के संतों की महिमा भी अपरंपार है। यही वजह है कि देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग संतों के दरबार और शक्तिपीठों में सिर नवाने पहुंचते हैं।

बाबा नीमकरौली महाराज।

ऐसा ही एक धाम है उत्तराखंड का कैंचीधाम। बाबा नीम करौली के कैंची धाम में दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं। मान्‍यता है कि एक बार यहां पहुंचने वाला कोई खाली हाथ नहीं लौटता। बाबा सभी की मुरादें करते हैं। बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्‍थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तक का नाम शामिल है। वर्तमान में बाबा तो समाधी ले चुके हैं लेकिन मान्यता है कि हनुमान जी का यह मंदिर बिगड़ी तकदीर बना देता है।

बाबा नीमकरौली अपने भक्तों के साथ। (फाइल फोटो)

यहां बसा है बाबा नीमकरौली का दरबार

नीम करोली बाबा का कैंची धाम आश्रम नैनीताल से 20 किलोमीटर दूर नैनीताल-अल्मोड़ा हाइवे पर समुद्र तल से 1400 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। क्षिप्रा नाम की छोटी पहाड़ी नदी के किनारे सन 1962 में कैंचीधाम की स्थापना हुई। यहां दो घुमावदार मोड़ हैं जो कि कैंची के आकार के हैं इसलिए इसे कैंचीधाम आश्रम कहते हैं। नीम करौली बाबा को इस आश्रम में आने के बाद ही अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय बाबा के एक अमरीकी भक्त बाबा रामदास ने एक किताब लिखी जिसमें नीम करौली बाबा का उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन तथा आशीर्वाद लेने के लिए आने लगे।

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स।

जब स्टीव जॉब्स को मिला एप्पल के लोगो का आईडिया

उत्तराखंड के कैंचीधाम वाले संत महात्मा नीम करौली महाराज की। नीम करौली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव अकबरपुर में हुआ था। 11 सितंबर 1973 को उन्होंने महासमाधि ली थी। नीम करौली बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तक का नाम शामिल हैं।

एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच भारत आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरू की तलाश थी। स्टीव पहले हरिद्वार पहुंचे और इसके बाद वह कैंची धाम तक पहुंच गए। यहां पहुंचकर उन्हें पता लगा कि बाबा समाधि ले चुके हैं। कहा तो यह भी जाता है कि स्टीव को एप्पल के लोगो का आइडिया बाबा के आश्रम से ही मिला था। कहते हैं कि नीम करौली बाबा को सेब बहुत पसंद थे। यही वजह थी कि स्टीव ने अपनी कंपनी के लोगों के लिए कटे हुए एप्पल को चुना।

फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग।

मार्क जुकरबर्ग ने जब प्रधानमंत्री मोदी को सुनाई बाबा के चमत्कार की कहानी
बाबा नीबकरौली से जुड़ा एक किस्सा फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बताया था। तब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। इस दौरान जुकरबर्ग ने पीएम को भारत भ्रमण की बात बताई। उन्होंने कहा कि जब वे इस संशय में थे कि फेसबुक को बेचा जाए या नहीं, तब एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स ने इन्हें भारत के एक मंदिर में जाने की सलाह दी थी।

जुकरबर्ग ने बताया था कि वे एक महीना भारत में रहे। इस दौरान वह इस मंदिर में भी गए थे। जुकरबर्ग आए तो यहां एक दिन के लिए थे, लेकिन मौसम खराब हो जाने के कारण वह यहां दो दिन रुके थे। मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि उस समय मैं बहुत निराश था। हालत यहां तक आ पहुंची थी कि फेसबुक बेचने तक का मन बना चुके थे। नैनीताल जिले में स्थित कैंचीधाम आश्रम में आने की प्रेरणा मिली। उसके बाद मार्क जुकरबर्ग कैंची आश्रम पहुंचे। जुकरबर्ग मानते हैं कि भारत में मिली अध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली।

हॉलीवुड अदाकारा जूलिया राबर्ट्स।

हॉलीवुड अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स भी बाबा की भक्त
हॉलीवुड की मशहूर अदाकारा जूलिया रॉबर्ट्स ने 2009 में हिंदू धर्म अपना लिया था। वह फिल्म ‘ईट, प्रे, लव’ की शूटिंग के लिए भारत आईं थीं। जूलिया रॉबर्ट्स ने एक इंटरव्यू में यह खुलासा किया था कि वह नीम करौली बाबा की तस्वीर से इतना प्रभावित हुई थीं कि उन्होंने हिन्दू धर्म अपनाने का फैसला कर डाला। जूलिया इन दिनों हिन्दू धर्म का पालन कर रही हैं। वह अपने पति और तीनों बच्चों के साथ मंदिरों में प्रार्थना करने भी जाती हैं।