बरेली: यह सब तमाशेबाजी और अवसरवाद है…

बरेली, अमृत विचार। राजनीति में कुछ भी अनाय़ास नहीं होता। स्वामी प्रसाद मौर्य अगर बसपा से भाजपा में आए और मंगलवार को भाजपा से सपा में गए तो यूं ही नहीं गए। बैक डोर से बातचीत तो चल ही रही थी। सूत्र बताते हैं कि जब सोमवार रात को सारी चीजें तय हो गईं तो …
बरेली, अमृत विचार। राजनीति में कुछ भी अनाय़ास नहीं होता। स्वामी प्रसाद मौर्य अगर बसपा से भाजपा में आए और मंगलवार को भाजपा से सपा में गए तो यूं ही नहीं गए। बैक डोर से बातचीत तो चल ही रही थी। सूत्र बताते हैं कि जब सोमवार रात को सारी चीजें तय हो गईं तो उन्होंने मंगलवार को इस्तीफा बम फोड़ दिया। स्वामी ने खुद की और बेटे के लिए ऊंचाहार से टिकट पक्की कर रखी है। यह नवअवसरवाद है, जिससे कोई भी दल अछूता नहीं है।
जब स्वामी ने भाजपा से इस्तीफा दिया तो इस्तीफे का कारण बड़ा बेजोड़ था। उन्होंने इस्तीफे में लिखा, बीते 5 साल से वह मुख्यमंत्री समेत हर फोरम पर अपनी बात रख रहे थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। लिहाजा, वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। सत्ता के गलियारों के जानकार बताते हैं कि उन्होंने जितनी भी बातें मुख्यमंत्री के समक्ष रखी थीं, प्रायः सभी का समाधान हुआ था। अब उन्होंने सुनवाई न होने की बात कहकर इस्तीफा दिया है, वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहा है। सोशल मीडिया पर स्वामी की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें वह मायावती के पैर छू रहे हैं। लोगों ने इस तस्वीर पर लिखा, जिन मायावती ने आपको सबसे ज्यादा भाव दिया, मान दिया, आपने उन्हें भी 2017 में छोड़ दिया। अब 2022 में आपने भाजपा को भी छोड़ दिया।
लगता है कि 2027 में आप अपनी पार्टी बनाएंगे। सोशल मीडिया पर लोग उनसे पूछ रहे हैं, पांच साल से सुनवाई नहीं हो रही थी तो पहले इस्तीफा क्यों नहीं दिया। अब चुनाव के वक्त इसलिए इस्तीफा दिया ताकि समाजवादी पार्टी में जा सकें, क्योंकि यह तय हो गया था कि आपको (स्वामी) 2022 के चुनाव में टिकट मिलना नहीं था। यह सब तमाशेबाजी है, अवसरवाद है। भोजपुरी के सशक्त हस्ताक्षर एनडी देहाती ने फेसबुक पर लिखा है कि निष्ठावान लोगों को हाशिए पर डालकर बाहरियों को सिर-माथे पर चढ़ाने वालों देख लो…ये प्रवासी दाना चुगने को आए थे। ऐसे ही एक सज्जन ने लिखा है कि जाने दो, गई भैंस पानी में। भाजपा को उसे मनाने का कोई प्रयास नहीं करना चाहिए। न वह चुनाव जीतेंगे और न ही उनके साहबजादे।
पडरौना के एक अन्य यूजर ने फेसबुक पर कुछ अलग ही नाम दिया। चुनाव आचार संहिता लागू हो गई तो कह रहे हैं कि पार्टी खराब है, सुनवाई नहीं होती। राकेश पांडेय नामक एक यूजर ने लिखा है कि पडरौना में एक से बढ़कर एक सपाई हैं। किसी को भी लड़ा दें, जीत जाएगा। इनकी कोई जरूरत ही नहीं। फेसबुक पर ही अपना दल राष्ट्रीय अध्यक्ष के आशीष सिंह के हवाले से लिखा गया है कि स्वामी प्रसाद मौर्य का एनडीए से जाना दुखद है। भारतीय जनता पार्टी को यह देखना होगा कि सामाजिक न्याय से जुड़े नेताओं के आत्मसम्मान से कोई खिलवाड़ ना हो पाए। अपना दल (एस) अपील करता है कि गृहमंत्री अमित शाह आगे आएं, क्योंकि सामाजिक न्याय से जुड़े नेताओं की उम्मीद उनसे है।