चुनावी मुद्दा : राजनीतिक दलों से मोहभंग का इतिहास रच चुके हैं मतदाता

आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। मुस्लिम बहुल कुंदरकी विधान सभा क्षेत्र में सपा- भाजपा की सीधी जंग जग जाहिर है। हालांकि अब तक यहां सिर्फ 1993 में ही पार्टी का कमल खिला था। तब रामलहर में विधान सभा चुनाव हुआ था। जबकि यहां के मतदाताओं ने दलों से मोहभंग का भी इतिहास रचाा है। निर्दलीय माहीलाल क्षेत्र …
आशुतोष मिश्र, अमृत विचार। मुस्लिम बहुल कुंदरकी विधान सभा क्षेत्र में सपा- भाजपा की सीधी जंग जग जाहिर है। हालांकि अब तक यहां सिर्फ 1993 में ही पार्टी का कमल खिला था। तब रामलहर में विधान सभा चुनाव हुआ था। जबकि यहां के मतदाताओं ने दलों से मोहभंग का भी इतिहास रचाा है। निर्दलीय माहीलाल क्षेत्र के लोगों की विधान सभा में रहनुमाई कर चुके हैं।
वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा उम्मीवार सीधी लड़ाई में सफलता नहीं मिल पाई। सपा ने विधायक हाजी रिजवान को मैदान में उतरा था और भाजपा ने चिर प्रतिद्वंदी रामवीर सिंह एडवोकेट को मौका दिया था। इस सीट पर पहली बार 1967 में विधानसभा चुनाव हुआ और निर्दलीय माही लाल विधायक चुने गए। संसदीय इतिहास में यहां दो बार कांग्रेस, दो बार जनता दल, दो बार बसपा, एक बार भाजपा, तीन बार सपा और एक-एक बार जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेक्युलर) और भारतीय क्रांति दल के विधायक चुने गए।
2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रिजवान विजयी हुए थे। उन्होंने तब भी भाजपा के रामवीर सिंह को हराया था। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के सौलत अली थे। बसपा के मोहम्मद जुबैर चौथे नंबर पर थे। समाजवादी पार्टी के रिजवान चौथी बार इस सीट से विधायक बने हैं। वह 1996 का पहला चुनाव जीते। वर्ष 2002 में विजयी हुए और 2007 में बसपा के हाजी अकबर से हार गए। तब प्रदेश में बसपा की सरकार बनी है। अकबर मंत्री बने। 2012 के बाद रिजवान 2017 में विधायक चुने गए।
मुगल साम्राज्य से पहले की है बसावट : कुंदरकी की बसावट मुगल साम्राज्य से भी पहले की है। दावा है कि10वीं शताब्दी की शुरुआत में कुंदरकी अस्तित्व में आया था। सन 1363 में खोजकर्ता इब्न बतूता भी यहां थोड़े समय के लिए रुके थे। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस सीट का अपना महत्व है। पहला चुनाव साल 1967 में हुआ और यहां जमींदार खानदान के माहीलाल चुने गए।