बरेली: ए भाई जरा देखते चलो, ये सर्कस है… सोशल मीडिया से कम हो रहा सर्कस का क्रेज

बरेली: ए भाई जरा देखते चलो, ये सर्कस है… सोशल मीडिया से कम हो रहा सर्कस का क्रेज

बरेली, अमृत विचार। बदलते जमाने में सोशल मीडिया का क्रेज होने से अब सर्कस का क्रेज कम हो गया है। इसकी वजह से गिने चुने ही सर्कस रह गए हैं। अब सिर्फ 20 फीसदी ही सर्कस के शौकीन बचे हैं। आने वाले समय में कहीं बातों और किताबों में ही सर्कस न सिमट जाए। इन …

बरेली, अमृत विचार। बदलते जमाने में सोशल मीडिया का क्रेज होने से अब सर्कस का क्रेज कम हो गया है। इसकी वजह से गिने चुने ही सर्कस रह गए हैं। अब सिर्फ 20 फीसदी ही सर्कस के शौकीन बचे हैं। आने वाले समय में कहीं बातों और किताबों में ही सर्कस न सिमट जाए। इन दिनों शहर के तुलसीनगर मैदान पर करीब 90 साल पुराना ग्रेट जेमिनी सर्कस लगा हुआ है। सर्कस में काम करने वाले कलाकारों ने बताया कि किसी को हंसाना और मनोरंजन करना किसी कला से कम नहीं।

लोगों को इस कला की कद्र करनी चाहिए और सर्कस देखने आना चाहिए। वहीं सर्कस का क्रेज कम होने पर कलाकारों ने बताया कि किसी एक वजह से क्रेज कम नहीं हुआ। जब जानवरों को बैन किया गया तो सबसे पहले देखने वालों में कमी आई। 2002 तक तो सभी सर्कस से जानवरों को उठाकर जंगल में छोड़ दिया गया। इसके बाद टीवी, इंटरनेट, मॉल की वजह से क्रेज कम हुआ। अब युवा पीढ़ी मॉल में जाकर तो कभी इंटरनेट पर समय बिताती है। यह उनका मनोरंजन का जरिया हैं।

कोरोना काल ने तोड़ दी थी कमर
सर्कस में काम करने वाले आजमगढ़ के 30 वर्षीय महेश ने बताया कि वह 25 साल से सर्कस में काम कर रहे हैं। पिछले दो साल कोरोना की वजह से सभी चीजे बंद होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा मोबाइल के बढ़ते दौर से लोगों में सर्कस का क्रेज कम हो गया है।

जानवरों पर प्रतिबंध होने से भी कम हो गए दर्शक
सर्कस में काम करने वाले झारखंड निवासी बबली ने बताया कि एक जमाना था कि जब लोग सर्कस को बड़े शौक से देखने के लिए आया करते थे। मगर अचानक से सरकार ने सर्कस में जानवरों को रखने पर रोक लगा दी। उसके बाद से ही लोगों को सर्कस में आना कम हो गया।

माता-पिता के बाद अब खुद कर रहे सर्कस
मथुरा के रहने वाले महेन्द्र कपूर ने बताया कि उनसे पहले उनके माता-पिता सर्कस में काम करते थे। बचपन से वह भी सर्कस में अपने कर्तब दिखा रहे हैं। अब उनकी पत्नी माधवी कपूर भी उनके साथ सर्कस में काम करती है। उनका एक दो साल का बेटा है। वह उसे पढ़ा लिखा कर उसका भविष्य बनाना चाह रहे हैं।

शहर में मिल रहा लोगों का प्यार
कोरोना के बाद पहली बार लखनऊ में सर्कस को लगाया था। उसके बाद अब बरेली में करीब एक माह से सर्कस चल रहा है। शहर में लोगों का भरपूर प्यार उन्हें मिल रहा है। हालंकि सर्दी की वजह से दर्शकों की संख्या कुछ कम रह जाती है। अब 9 जनवरी तक शहर में सर्कस लगा रहेगा। -अजय कुमार गोयल, सर्कस मैनेजर

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