शिक्षा राष्ट्र व समाज की धुरी: अनुराग ठाकुर

गोरखपुर। केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को गोरखपुर में कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र व समाज की धुरी है और भावी पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था जैसा निर्माण करेगी। वैसा ही देश का भविष्य बनेगा। केन्द्रीय मंत्री ठाकुर ने आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक-सप्ताह समारोह के उद्घाटन अवसर …
गोरखपुर। केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शनिवार को गोरखपुर में कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र व समाज की धुरी है और भावी पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था जैसा निर्माण करेगी। वैसा ही देश का भविष्य बनेगा। केन्द्रीय मंत्री ठाकुर ने आज महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 89वें संस्थापक-सप्ताह समारोह के उद्घाटन अवसर पर आयोजित शोभायात्रा का शुभारम्भ करते हुए गोरखपुर के महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद परिसर के प्रांगण में शिक्षा परिषद की चार दर्जन से अधिक शिक्षण, प्रशिक्षण व चिकित्सा संस्थाओं के उपस्थित लगभग दस हजार से अधिक छात्र-छात्राओं, शिक्षकों, महानगर के प्रबुद्ध जनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र एवं समाज की धुरी है।
भावी पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था जैसा निर्माण करेगी, वैसा ही देश का भविष्य बनेगा। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना के साथ राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की रक्षा का संकल्प लेकर, मातृभूमि के समर्पण और त्याग, माता पिता और गुरु के प्रति श्रद्धावनत रहने का जो पाठ इन शिक्षण संस्थाओं की ओर से पढ़ाया जा रहा है, वह राष्ट्र सेवा का एक अभिनव प्रयास है। नई शिक्षा नीति के क्रियान्यवन में भी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अग्रणी भूमिका निभा रही है। ठाकुर ने कहा कि महाराणा प्रताप बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में ही सामाजिक पुनर्जागरण, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक क्रान्ति का सूत्रपात ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ ने किया और उनके शिष्य ब्रहमलीन महन्त अवेद्यनाथ ने महन्त दिग्विजयनाथ के सपनों को पूरा किया। वर्तमान पीठाधीश्वर व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री महन्त योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठ के यशस्वी परम्परा के विकास के साथ-साथ सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में एक नयी कार्य संस्कृति के देवदूत बनकर उभरे हैं।
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वहीं, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद उसी क्रान्ति की एक कड़ी है। गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर की स्थापना की सूत्रधार रही शिक्षा परिषद का संस्थापक समारोह उस वट वृक्ष की गरिमा को ही प्रतिष्ठित करता है। उन्होंने कहा कि श्री गोरक्षपीठ की ओर से भावी पीढ़ी के निर्माण के प्रति सजगता राष्ट्रीय पुननिर्माण की दिशा में अत्यन्त ही प्रभावी प्रयास है। गोरखपुर व श्री गोरक्षपीठ का सम्बन्ध हिमांचल प्रदेश से भी है। वहीं ज्वालादेवी से महायोगी गोरखनाथ गोरखपुर आये। श्री गोरक्षपीठ एक ऐसी धार्मिक पीठ है, जिसने देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आधुनिक भारत के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
देश के मान सम्मान की वृद्धि के लम्बे इतिहास में इस पीठ की ऐतिहासिक भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि देश जब आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। आजादी के बाद आने वाली चुनौतियों को इस पीठ के युगद्रष्टा पीठाधीश्वरों ने देखा, समझा और उसको स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवा और साधना का जो प्रतिमान खड़ा किया है, वह अद्वितीय व अद्भुत है। उन्होनें आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों के भारत में उत्तर प्रदेश एक बड़ी चुनौती थी, इस चुनौती को महन्त योगी आदित्यनाथ ने स्वीकारा और उत्तर प्रदेश को योगीराज के अल्प समय में ही गुण्डा राज्य व भ्रष्टाचार से मुक्ति मिली है और यहा सुशासन स्थापित हुआ है।