मुरादाबाद : मृत घोषित सफाईकर्मी उठकर बैठा

मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में रात्रिकालीन शिफ्ट के इमरजेंसी मेडिकल आफिसर ने दुर्घटना में घायल नगर निगम के जिंदा कर्मचारी को मृत बताकर शवगृह में डाल दिया। जहां वह आठ घंटे पड़ा रहा। सुबह जब पंचनामा भरने के लिए पुलिस और परिवार के लोग शवगृह में पहुंचने तो वह जिंदा था। इसके …
मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में रात्रिकालीन शिफ्ट के इमरजेंसी मेडिकल आफिसर ने दुर्घटना में घायल नगर निगम के जिंदा कर्मचारी को मृत बताकर शवगृह में डाल दिया। जहां वह आठ घंटे पड़ा रहा। सुबह जब पंचनामा भरने के लिए पुलिस और परिवार के लोग शवगृह में पहुंचने तो वह जिंदा था। इसके बाद सुबह की शिफ्ट के ईएमओ और स्वास्थ्य कर्मी सकते में आ गए आनन फानन में उसे इमरजेंसी वार्ड के बेड नंबर दो पर भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। दोपहर में उसकी हालत गंभीर बताकर चिकित्सकों ने मेरठ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। वहीं जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक ने जांच के लिए चार वरिष्ठ चिकित्सकों का बोर्ड गठित कर दिया। रिपोर्ट मिलने पर कदम उठाने की बात वह कर रहे हैं। दूसरी ओर सीएमओ डाँ एमसी गर्ग का कहना है कि यह गंभीर है। प्रमुख अधीक्षक से रिपोर्ट ले रहे हैं।
शहर के मझोला थाने के मंडी समिति के पास रहने वाले नगर निगम कर्मचारी श्रीकेश गुरूवार रात साढ़े नौ बजे मंडी समिति के पास वाहन दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके भाई सत्यानंद गौतम ने बताया कि मंडी समिति के पास गुरूवार की रात साढ़े नौ बजे एक्सीडेंट हुआ था। वहां से श्रीकेश की पत्नी दीक्षा और साले दीपक निजी एंबुलेंस से टीएमयू ले गये। जहां दीक्षा खुद वार्ड आया के पद पर कार्यरत हैं। अस्पताल स्टाफ ने न्यूरोसर्जन न होने की बात टीएमयू में कही। इसके बाद ब्राइट स्टार पहुंचे। जहां वह खुद भी पहुंच गए।
भाई सत्यानंद का कहना है कि ब्राइट स्टार में डाक्टर न होने की बात कही गई, फिर एंबुलेंस से ही हास्पिटल लेकर गये। जहां 2.40 पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिसके बाद जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर आए। आपातकालीन चिकित्सक मनोज यादव ने देखा। उन्होंने दूर से टार्च से आंख देखकर मृत घोषित कर दिया। शव को इन लोगों ने शवगृह में रखवा दिया। सुबह साढ़े दस बजे के करीब पंचनामा भरने मझोला थाने के मंडी समिति इंचार्ज आदेश जब पहुंचे तो शवगृह का गेट खोलने पर पता चला कि उनके भाई पल्स और सांस चल रही थी। इसकी सूचना इमरजेंसी में तैनात सुबह की शिफ्ट के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को दी तो वह हैरत में पड़ गए। चिकित्सक ने देखा और फिर उनके भाई को आपातकालीन कक्ष में बेड नंबर दो पर भर्ती कर इलाज शुरू किया।
इसकी सूचना मिलने पर प्रमुख अधीक्षक डाँ शिव सिंह और चिकित्सा अधीक्षक डाँ राजेंद्र कुमार भी इमरजेंसी में पहुंचे। उन्होंने सुबह आठ से दोपहर दो बजे के शिफ्ट के ईएमओ डाँ अरूण कुमार तोमर से जानकारी लेने के साथ खुद भी चेक किया। श्रीकेश के जीवित होने और रात में मृत घोषित करने पर हैरानी जताने के बाद रात्रिकालीन ईएमओ को बचाने की कोशिश में जुट गए। इस बीच परिवार वालों के लापरवाही बरतने वाले ईएमओ पर कारवाई करने की मांग पर प्रमुख अधीक्षक डाँ शिव सिंह ने चार वरिष्ठ चिकित्सकों का बोर्ड गठित कर दिया। कहा कि इनकी रिपोर्ट मिलने पर यदि लापरवाही साबित होगी तो कारवाई होगी। वहीं दूसरी ओर सीएमओ डाँ एमसी गर्ग का कहना है कि जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक से पूरी रिपोर्ट मांगी है। जिन निजी अस्पताल में ले जाने की बात परिवार बता रहा है उनके प्रबंधन से भी जवाब लेंगे, कि ऐसी लापरवाही किस स्थिति में हुई।