बरेली: सहालग नजदीक, पेपर व प्रिंटिंग पर जीएसटी की मार से कारोबारी परेशान

बरेली, अमृत विचार। पिछले दिनों सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम कर आजमन को कुछ राहत दी थी। अब सहालग नजदीक है। इस दौरान पैकेजिंग में प्रयोग होने वाले पेपर व प्रिंटिंग पर 20 प्रतिशत तक जीएसटी में बढ़ोत्तरी कर दी। इसका असर बाजार में तेजी से असर दिखने लगा है। नव वर्ष की तैयारियों …
बरेली, अमृत विचार। पिछले दिनों सरकार ने पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम कर आजमन को कुछ राहत दी थी। अब सहालग नजदीक है। इस दौरान पैकेजिंग में प्रयोग होने वाले पेपर व प्रिंटिंग पर 20 प्रतिशत तक जीएसटी में बढ़ोत्तरी कर दी। इसका असर बाजार में तेजी से असर दिखने लगा है। नव वर्ष की तैयारियों में जुटे लोगों को सालाना डायरी व कैलेंडर के रेटों में भारी वृद्धि से जेब ज्यादा हल्की करनी पड़ेगी। इधर, शादी के निमंत्रण पत्र व खाने के डिब्बों पर भी बेतहाशा महंगाई से कारोबारी परेशान हैं। उनका मानना है कि बाजार में टिकने के लिए मुनाफा कम करना पड़ेगा।
बाजार की बात करें तो पहले जो शादी का कार्ड 10 रुपये का मिलता था, उसकी कीमत अब 15 रुपये प्रतिकार्ड तक हो गई है। बड़े बजट के शादी के कार्ड तो 25 से 30 प्रतिशत तक महंगे हुए हैं। कारोबारी विसंगतियां व जीएसटी की बढ़ी दरों को लेकर चिंतित हैं। उनका कहना है कि कोरोना संकट के बाद पैकेजिंग व प्रिंटिंग कारोबार भारी मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। सरकार ने जीएसटी बढ़ाकर जख्मों को और हरा कर दिया है। महामारी के चलते लाकडाउन के दौरान प्रतिष्ठान बंद रहे थे, फिर भी कर्मचारियों का वेतन व अन्य खर्चे वहन किए गए। अब वैवाहिक सीजन से कुछ उम्मीद है।
जीएसटी बढ़ने से स्टेशनरी में प्रयोग होने वाला पेपर, स्याही व अन्य कच्चे माल पर बेतहाशा महंगाई का असर दिख रहा है। सहालग आ चुकी है। सरकार को जीएसटी में राहत देनी होगी। -रितेश, प्रिटिंग प्रेस संचालक
वर्तमान के हालात देखते हुए पैकेजिंग मैटेरियल तैयार करने वाले कच्चे माल पर सरकार को जीएसटी कम करनी चाहिए। यह कारोबार महामारी के समय से ही मंदी के दौरा से गुजर रहा है। -मोतीलाल, कारोबारी
पैकेजिंग मैटेरियल की निर्माण सामग्री की कीमत जीएसटी बढ़ने की वजह से 30 फीसदी तक महंगी हो गई है। बोतल, पालीबैग आदि के बनाने में अधिक लागत खर्च करना पड़ रही है। -आयुष, प्रिंटिंग प्रेस संचालक
पेपर व प्रिंटिंग के चलते इस बार शादी के कार्ड काफी महंगे हो गए हैं। दिल्ली से जिस भाव आ रहे हैं, उसी हिसाब से बेच रहे हैं। 10 से 15 प्रतिशत तक पैकेजिंग उत्पादन महंगा पड़ रहा है। -रवि, प्रिंटिंग प्रेस कारोबारी