राजधानी में नियमों को ताक पर रख क्षेत्र में चल रही आरा मशीनें

लखनऊ। लकड़ी माफिया वन विभाग से सांठगांठ कर लाइसेंस की आड़ में आरामशीनें संचालित हो रही हैं। कभी कभार शिकायतों के बाद वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लेते हैं। आरा मशीनों के संचालन से बिना परमिट के वन माफिया लगातार हरे भरे फलदार वृक्षों पर आरा चला रहे हैं। मलिहाबाद में दिन …
लखनऊ। लकड़ी माफिया वन विभाग से सांठगांठ कर लाइसेंस की आड़ में आरामशीनें संचालित हो रही हैं। कभी कभार शिकायतों के बाद वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई कर पल्ला झाड़ लेते हैं। आरा मशीनों के संचालन से बिना परमिट के वन माफिया लगातार हरे भरे फलदार वृक्षों पर आरा चला रहे हैं।
मलिहाबाद में दिन प्रतिदिन होती लकड़ी कटान से फल पट्टी के अस्तित्व पर संकट नजर आ रहा है। वन माफिया वन विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर लगातार हरियाली को उजाड़ने में पड़े हैं। क्षेत्र में अवैध रूप से संचारित आरा मशीनों पर शिकायतों के बाद कभी कभार खानापूर्ति के लिए विभाग कार्रवाई की जाती है। लेकिन मानकों के अनरूप लाइसेंस की आड़ में संचालित आरा मशीनों पर विभाग की कभी नजर नहीं जाती। यहां पर मौजूद लकड़ी का न तो परमिट होता है। आरा मशीनों पर चिराई करने के बाद दूसरे क्षेत्रों में ट्रकों से लोड कर भेजी जाने वाली लकड़ी का ट्रांजिट परमिट का होना अनिवार्य है। लेकिन वन विभाग की आरा मशीनों पर मेहरबानी के चलते ऐसा नही हो रहा है। जो उनकी निष्ठा पर सवाल उत्पन्न करता है।
सूत्रों के अनुसार इन आरा मशीनों पर प्रतिदिन 50-60 पेड़ों की लकड़ी चिराई के लिए आती है। जबकि हरे फलदार पेड़ों का परमिट वन विभाग के नियमों में नहीं आता है। पेड़ों की कटान का परमिट जारी करने के लिए बागवानी विभाग द्वारा संस्तुति ली जाती है। इतना ही नहीं एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए ट्रांजिट परमिट वन विभाग से दिया जाने का नियम है। आरा मशीनों पर लकड़ी चिरान के बाद दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए फिर से ट्रांजिट परमिट की जरूरत पड़ती है। लेकिन लकड़ी माफियाओं द्वारा बिना कागज लकड़ी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना किसी परमिट के ले जाया जा रहा है। इस ओर वन विभाग, वन दरोगा व रेंजर की नजर नहीं जाती है, जिससे उनकी भूमिका सवालों के घेरे में आती है।
गौरतलब है कि पूरे क्षेत्र में फैली अवैध रूप से आरा मशीनों का संचालन व मशीन संचालक हरियाली के दुश्मन बने बैठे है। जबकि कस्बा क्षेत्र मे गोपेश्वर गौशला रोड़ पर संचालित हो रही आरा मशीन लाइसेंस होने के बाद भी सभी नियमों की अनदेखी करती नजर आ रही है।
इस सम्बन्ध में डिवीजनल फॉरेस्ट आफीसर से जब संपर्क किया गया तो उनका फोन नहीं उठा। इस सम्बन्ध मे वन रेंजर विकास सक्सेना ने बताया कि मौके पर जमा लकड़ी की जांच कर अगर बिना परमिट की लकड़ी पायी जाती है तो आरा मशीन संचालक के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।