अमेठी: गौशालाओं के हालात चिंताजनक, भूख-प्यास से तड़प रहे हैं गोवंश

अमेठी। गौवंश की रक्षा के लिए तथा किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाए जाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दिल खोलकर खजाना खर्च कर रही है। जहां जगह-जगह पर गौशालाओं का निर्माण करवाया गया है वहीं निजी पशुपालकों को भी गौशालाएं प्रदान की गई हैं सबका मकसद एक ही था कि किसानों …
अमेठी। गौवंश की रक्षा के लिए तथा किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाए जाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दिल खोलकर खजाना खर्च कर रही है। जहां जगह-जगह पर गौशालाओं का निर्माण करवाया गया है वहीं निजी पशुपालकों को भी गौशालाएं प्रदान की गई हैं सबका मकसद एक ही था कि किसानों को आवारा पशुओं से निजात मिल जाए तथा गोवंश की रक्षा हो सके। लेकिन विकासखंड शुकुल बाजार में अधिकारियों कर्मचारियों और जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गौशालाओं के हालात दयनीय हैं।
जहां जानवरों के खाने-पीने का उचित प्रबंध नहीं हरा चारा चुनी चोकर कौन कहे घूमता और पानी के लिए किल्लत है। कई गौशालाओं में भूसा का प्रबंध नहीं है तो कहीं पानी की समस्या है कुछ गौशालाओं में कीचड़ भी जरूरत से ज्यादा है लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि दो तसला भूसा और एक बाल्टी पानी भी जानवरों को नसीब नहीं, जबकि सरकार पैसा भेजती है जिसकी बानगी किसी भी गौशाला में साफ-साफ देखी जा सकती है।
जानवरों के इलाज की व्यवस्था भी नहीं है सबसे बड़ी आश्चर्य करने वाली बात और मानवता को शर्मसार करने वाली बात यह है कि गोवंश को मिलने वाला पैसा भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते गौशाला में बंद जानवर धीरे-धीरे मरने को मजबूर हैं और मरने के बाद इन्हें कहीं दफनाया भी नहीं जाता क्षेत्रीय लोगों की माने तो किसी भी गौशाला के आसपास मरे जानवर उनके कंकाल साफ साफ देखे जा सकते हैं। यही नहीं इन मरे जानवरों को चिल कौवा और सियार नोच नोच कर खाते हैं सबसे बड़ी तो मानवता को शर्मसार करने वाली बात तब आई जब कुछ ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दुर्बल और बीमार जिंदा जानवरों को भी सियार और कौवे नोच नोच कर खाते हैं।
आखिर भ्रष्टाचार करने वाले अपने आप को इंसान कहने वाले लोग इस कदर गिर सकते हैं और बेजुबान जानवर और गौवंश के अंश को यानी चारे को भी खा जाते हैं जबकि सरकार प्रत्येक जानवर के हिसाब से चारे भूसे के लिए धनराशि भेजती है हरा चारा भी प्रत्येक गौशाला पर मौजूद रहे यह भी सरकार कहती है डॉक्टर की व्यवस्था की गई है कि जानवरों की बीमारी का इलाज हो सके। आदमियों की नियुक्ति की गई है कि जानवरों को चारा भूसा दे भारी-भरकम बजट खर्च कर गौशालाओं का निर्माण कराया गया लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी है जो जानवर गौशाला के अंदर बंद है वह धीरे-धीरे मरने को मजबूर हैं और मर रहे हैं।
क्षेत्रीय लोगों ने शासन प्रशासन के उच्च अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गौशालाओं के स्थलीय निरीक्षण की मांग करते हुए व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त कराने किसानों को आवारा पशुओं से निजात दिलाने की मांग की है तथा दुर्बल जानवरों के समुचित इलाज की व्यवस्था चारा पानी के प्रबंध सहित मरे हुए गौवंशो दफनाने सहित गौशालाओं की व्यवस्थाओं में सुधार की मांग की है। मामले में बीडीओ शुक्लबाजार राजीव गुप्ता ने कहा कि उन्हें इस मामले मे कोई जानकारी नहीं है ।