20 अगस्त को है प्रदोष व्रत, जानें सावन में क्यों बढ़ जाता है इसका महत्व

20 अगस्त को है प्रदोष व्रत, जानें सावन में क्यों बढ़ जाता है इसका महत्व

सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। इस महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत रखें जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि …

सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। इस महीने में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत रखें जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत 05 अगस्त 2021 को पड़ा था। वहीं शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 अगस्त, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस व्रत को करने से कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है।

पूजा करने का संकल्प लें
प्रदोष व्रत के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़ पहनें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करने का संकल्प लें। इसके बाद घर के पूजा स्थल को साफ कर गंगाल छिड़के। अब भगवान शिव की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। फिर भगवान के सामने घी का दीपक का जलाएं। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि का अभिषेक करें।

प्रदोष काल में करें संध्या पूजा
अगर आप व्रत रखते हैं तो शाम के समय में प्रदोष काल में भोलानाथ और माता पार्वती की पूजा करने से आपके घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। इस दिन सात्विक भोजन करें। भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करें। इस दिन शिवाष्टक और चालीस पढ़ना लाभदायक होता है। भोलनाथ की विधि- विधान से पूजा करने के बाद माता पार्वती और गणेश जी की पूजा अर्चना करें। इस दिन भगवान शिव को खीर का भोग चढ़ाएं।

पूजा का शुभ मुहूर्त
शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 अगस्त, शुक्रवार को रखा जाएगा। प्रदोष के दिन विधि विधान से भगवान शिव के साथ देवी पार्वती का पूजन किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक माना जाता है।

प्रदोष व्रत महत्व
प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है। इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। मान्यता है कि भोलनाथ अपने भक्तों से सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन में प्रदोष व्रत रखने और कामेश्वर शिव का पूजन करने से उत्तम रूप पारिवारिक संतोष रहता है और जीवनसाथी का भी सुख प्राप्त होता है।

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