11 वीं पास बुजुर्ग ने साइकिल को ही बना दिया चलता-फिरता पुस्तकालय

महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के सतारा जिले में खाटव तहसील के 67 वर्षीय बुजुर्ग निवासी जीवन इंगले आसपास के क्षेत्रों में लोगों के बीच किताबें पढ़ने की आदत डालने का अभियान चला रहे हैं। इसके लिए वह अपनी साइकिल पर एक पुस्तकालय बना कर लोगों को किताबें बांट रहे हैं। खाटव तहसील के बुद्ध नामक एक छोटे …
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के सतारा जिले में खाटव तहसील के 67 वर्षीय बुजुर्ग निवासी जीवन इंगले आसपास के क्षेत्रों में लोगों के बीच किताबें पढ़ने की आदत डालने का अभियान चला रहे हैं। इसके लिए वह अपनी साइकिल पर एक पुस्तकालय बना कर लोगों को किताबें बांट रहे हैं।
खाटव तहसील के बुद्ध नामक एक छोटे से गांव के रहने वाले पुस्तक प्रेमी एवं महात्मा गांधी के विचारों के प्रबल अनुयायी इंगले ने 12 साल पहले यह पहल शुरू की थी और अब उनका चलता-फिरता पुस्तकालय क्षेत्र में लोकप्रिय हो गया है। इंगले ने बताया कि मैंने केवल 11 वीं कक्षा तक ही पढ़ाई की है, लेकिन मुझे सदा ही पढ़ने का शौक रहा है।
मैं गांधीजी के बारे में पढ़ता था और साने गुरुजी (मराठी लेखक एवं स्वतंत्रता सेनानी) और उनकी पुस्तक ‘श्याम ची आई’ से भी प्रेरित था। शेतकारी संगठन के साथ कुछ साल बिताने के बाद, मैंने उसे छोड़ दिया और किताबों से संबंधित कुछ करने का फैसला किया
उन्होंने कहा कि 2007 में उनके पास लगभग 70 किताबें थीं और उन्होंने ‘सर्वोदय सामाजिक संगठन’ नामक एक गैर-लाभकारी संगठन बनाया था। फिलहाल, उनके पास 2,600 से अधिक पुस्तकें हैं, जिन्हें वह अपने चलते-फिरते पुस्तकालय के लगभग 500 सदस्यों को पढ़ने के लिए देते हैं।
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