दशहरे के ठीक 21 दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है दीपावली? गूगल मैप में छिपा साइंटिफिक जवाब

नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि 2022 की आज (मंगलवार) महानवमी है और कल (बुधवार) विजयदशमी यानी दशहरा। नौ दिन तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के बाद बुधवार को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। दशहरा पर्व भगवान राम की जीत (असत्य पर सत्य की जीत) के रूप में मनाया जाता है। रामायण महाकाव्य में …
नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि 2022 की आज (मंगलवार) महानवमी है और कल (बुधवार) विजयदशमी यानी दशहरा। नौ दिन तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के बाद बुधवार को दशहरा का त्योहार मनाया जाएगा। दशहरा पर्व भगवान राम की जीत (असत्य पर सत्य की जीत) के रूप में मनाया जाता है। रामायण महाकाव्य में इस राम-रावण युद्ध को सत्य की असत्य पर विजय के रूप में दर्शाया गया है। वहीं दशहरे के ठीक 21 दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। लेकिन क्यों 21 दिन बाद ही दीपोत्सव मनाया जता है ये सवाल कईं लोगों के जेहन में हैं। तो आज हम आपकी इस दुविधा और जिज्ञासा से पनपे प्रश्न का जवाब देने की कोशिश करेंगे।
दरअसल, वाल्मिकी ने अपनी रामायण में लिखा है कि रावण के वध के बाद विभीषण को लंका सौंपकर भगवान राम अयोध्या लौटे थे। इस सफर को तय करने में श्री राम को पूरे 21 दिन लगे थे। उनके वापस आने की खुशी में अयोध्या वासियों ने दिए जलाकर खुशी मनाई थी। रामायण के अनुसार, प्रभु श्री राम को अपनी पूरी सेना को श्रीलंका से अयोध्या तक पैदल चलकर आने में 21 दिन (इक्कीस दिन यानी 504 घंटे) लगे। अगर आप 504 घंटे को हर दिन के 24 घंटे से भाग दें तो उत्तर जानकर आपको आश्चर्य हो जाएगा, क्योंकि इसका जवाब 21 दिन होता है।
ये भी पढ़ें : राजस्थान: उदयपुर में 9 अक्टूबर को होगी खाटू श्याम की भजन संध्या
चूंकि अब दुनिया डिजिटल हो गई है। कोई भी जानकारी चाहिए हो या किसी स्थान का पता लगाना हो, तो हम गूगल करना शुरू कर देते हैं। ऐसे में 21 दिन की थ्योरी का जवाब भी गूगल में उपलब्ध है। बस आपको थोड़ा समझना होगा।
दरअसल, जब गूगल मैप पर श्रीलंका से अयोध्या की पैदल रास्ते की दूरी देखेंगे तो जवाब काफी चौंकाने वाला आता है, क्योंकि गूगल मैप दर्शाता है कि श्रीलंका से अयोध्या की पैदल दूरी तकरीब 3145 किलोमीटर है। अगर आप इसे तय करना चाहते हैं तो इसमें करीब 504 घंटे का समय दिखता है, यानी वही 21 दिन। ऐसे में कहना गलत ना होगा कि त्रेतायुग से चली आ रही दीपावली मनाने की परंपरा किसी अंधविश्वास या मनगढ़ंत कहानी के आधार पर नहीं है। बल्कि तथ्यों के आधार पर यह ग्रंथ लिखे गए हैं।
ये भी पढ़ें : दशहरा 2022: मुर्मू, केजरीवाल और प्रभाष करेंगे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का वध, स्पीकर से बजेंगे पटाखे