उत्तराखंड: महिला सशक्तिकरण विभाग में ही महिलाओं का शोषण, ऐसे खुली पोल

नरेन्द्र देव सिंह, अमृत विचार, हल्द्वानी। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के कंधे पर महिला एवं बाल विकास परियोजना की योजनाओं का भार है। केंद्रों तक सामान पहुंचाने का जिम्मा कार्यकत्रियों के ऊपर है। इसके एवज में कार्यकत्रियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के तहत महिलाओं और बच्चों …
नरेन्द्र देव सिंह, अमृत विचार, हल्द्वानी। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के कंधे पर महिला एवं बाल विकास परियोजना की योजनाओं का भार है। केंद्रों तक सामान पहुंचाने का जिम्मा कार्यकत्रियों के ऊपर है। इसके एवज में कार्यकत्रियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के तहत महिलाओं और बच्चों के विकास के लिए काम किया जाता है। हालांकि राज्य में हकीकत इसके उलट है। जिस विभाग के पास महिलाओं का शोषण खत्म कर उसे सशक्त बनाने का जिम्मा है। उसी विभाग के तहत महिलाओं का शोषण किया जा रहा है। विभाग की योजनाओं के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में सामान उपलब्ध कराया जाता है। इन केंद्रों में अंडे, सेनेटरी नेपकिन, रजिस्टर, खिलौने आदि सामान पहुंचाए जाते हैं। विभाग से उपलब्ध होने वाला सामान केंद्रों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर डाल दी जाती है। सभी सामानों को वह अपने खर्चे से केंद्रों तक पहुंचाती हैं। विभाग केंद्रों तक सामान पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं करता और न ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को कोई भाड़ा देता है। अगर सामान को केंद्र तक पहुंचाने में किसी सामान में कोई टूट फूट होती है तो इसका जिम्मा भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के जिम्मे ही होता है।
कुछ बोलेंगे तो नौकरी जाने का खतरा
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने नौकरी जाने के डर से अपना नाम बताने से मना कर दिया है। उनका कहना है कि अगर वे लोग इस शोषण के खिलाफ कुछ बोलेंगी तो उनकी नौकरी चली जाएगी। इसका फायदा उठाकर विभाग के अधिकारी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का शोषण कर रहे हैं।