यूपी: प्रदेश के राजनीतिक अंकगणित पर असर डालेगी लखीमपुर हिंसा

लखनऊ। लखीमपुर हिंसा में सत्तारूढ़ दल भाजपा से लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी तक ने कहीं न कहीं अपनी भूमिका निभाई। भाजपा के मंत्री पुत्र पर जहां किसानों काे कुचलने का आरोप था तो वह भरपाई करती दिखी। वहीं इस पूरे मामले पर कांग्रेस, सपा और आप ने आक्रामक रवैया अपनाया। …
लखनऊ। लखीमपुर हिंसा में सत्तारूढ़ दल भाजपा से लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा और आम आदमी पार्टी तक ने कहीं न कहीं अपनी भूमिका निभाई। भाजपा के मंत्री पुत्र पर जहां किसानों काे कुचलने का आरोप था तो वह भरपाई करती दिखी। वहीं इस पूरे मामले पर कांग्रेस, सपा और आप ने आक्रामक रवैया अपनाया। अब जबकि लखीमपुर में हिंसा की आग शांत हो चुकी है तो भी इसका राजनीतिक असर सभी दलों पर पड़ेगा ऐसा माना जा रहा है।
इस प्रकरण में शुरूआती दौर में तो समाजवादी पार्टी बढ़त लेती नजर आई, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के घर पर जिस तरह से कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटी। उसने प्रशासन के पसीने छुड़ा दिए, लेकिन इसके बाद प्रियंका गांधी की नेतृत्व में विपक्ष की केंद्रीय भूमिका में कांग्रेस आ गई। प्रियंका की गिरफ्तारी से लेकर राहुल गांधी का लखनऊ से लखीमपुर आने का प्रकरण करीब दो दिनों तक राष्ट्रीय सुर्खियां बना। इस मामले को लेकर कांग्रेस अभी तक आक्रामक रवैया अपनाए हुए है, जबकि लखीमपुर में पीड़ितों से मिलकर आने के बाद से सपा इस मुद्दे से दूर नजर आ रही है।
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने बेहद शालीन तरीके से इस घटना की निंदा की और पीड़ितों से भेंट के लिए अपने राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा को भी भेजा। इसके बाद से बसपा भी शांत हो गई। आम आदमी पार्टी और रालोद भी इस घटना को लेकर सक्रिय रहे, लेकिन खास नफा नुकसान यहां कांग्रेस, सपा और भाजपा के बीच होने की संभावना है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस घटना से तराई क्षेत्र से लेकर उत्तराखंड के कुछ हिस्से तक कांग्रेस को कुछ लाभ मिल सकता है। जबकि भाजपा अपने संभावित नुकसान की भरपाई दूसरे तरीके से करने में जुट गई है। यहां कांग्रेस जितना भी बढ़त हासिल करेगी उसे सपा के नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि सपा और कांग्रेस दोनों के रणनीतिकार इस प्रकरण में अपने को मजबूत मानकर चल रहे हैं।