देश के हालात बता रहे हैं कि लोकतंत्र नाम की चीज नहीं है: गहलोत

देश के हालात बता रहे हैं कि लोकतंत्र नाम की चीज नहीं है: गहलोत

अलवर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि वर्तमान में देश में जो हालात सामने आ रहे हैं, उनसे लगता है कि देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। गहलोत ने आज अलवर जिले के तिजारा में आयोजित कांग्रेस के संगठन शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन अपने आप …

अलवर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि वर्तमान में देश में जो हालात सामने आ रहे हैं, उनसे लगता है कि देश में लोकतंत्र नाम की कोई चीज नहीं है। गहलोत ने आज अलवर जिले के तिजारा में आयोजित कांग्रेस के संगठन शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन अपने आप में शक्ति है और मैं भी कांग्रेस संगठन में माध्यम से ही यहां तक पहुंचा हूं। उन्होंने संगठन के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि संगठन के द्वारा जब इस तरह के शिविर लगाये जाते थे, तो मेरी उनमें ज्यादा रूचि रहती थी।

शिविर में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा सहित अनेक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मौजूद रहे। गहलोत ने कहा कि इन शिविरों के माध्यम से संगठन को मजबूती मिलती है और संगठन की गतिविधियों की भी जानकारी सामने आती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संगठन पुराना संगठन है जिसने आजादी की लड़ाई लड़ी और उसी के दम पर आज हम आजाद हैं।

शिविर में प्रभारी अजय माकन ने कहा कि संगठन के द्वारा संगठन के कार्यों की पहचान होती है, मैंने भी संगठन की गतिविधियों में भाग लिया है और संगठन ही ऐसा माध्यम है जिससे हम एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं और यहीं से हमारी पहचान बनती है, बढ़ती है। उन्होंने कहा कि हम एक दूसरे को समझें, इसका मौका संगठन के शिविरों के माध्यम से ही मिलता है। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविन्दसिंह डोटासरा ने कहा कि किसी भी संगठन को चलाने के लिये अनुभव के साथ-साथ कार्यशीलता भी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि मैं संगठन में रहना ज्यादा पंसद करता हूं, जब-जब भी मुझे मौका मिलेगा तो मैं संगठन से ही जुडऩा ज्यादा पसंद करूंगा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव जसवंत सिंह गुर्जर ने बताया कि पिछले करीब तीन माह से इस शिविर का आयोजन चल रहा है और इसका समापन इसी माह की 10 तारीख को होगा। अब तक कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस शिविर में भाग ले चुके हैं।

ये भी पढ़ें- बिहार के इस गांव में ‘हिंदू’ मनाते हैं ‘मुहर्रम’,100 साल से निभा रहे पूर्वजों का किया वादा