औपनिषद मंत्र
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प्रकृति प्रदत्त जो भी है…

प्रकृति प्रदत्त जो भी है… ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्।। इस संसार में जो कुछ भी विद्यमान है सब परम तत्व से आप्यायित है। इसलिए त्यागपूर्वक भोग करो। किसी के धन का लोभ मत करो (पूंजीवादी व्याख्या)। धन किसका है, अर्थात्‌ किसी का नहीं, इसलिए उसका लोभ मत करो (समाजवादी व्याख्या)।] सारा दारोमदार ‘कस्यस्विद्‌’ …
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