मजहबों
साहित्य 

गाँठ मन की यहाँ खोलता कौन है…

गाँठ मन की यहाँ खोलता कौन है… गाँठ मन की यहाँ खोलता कौन है क्या पता इश्क़ में बेवफा कौन है शायद औरों के ग़म में परेशां हो तुम, वरना रातों को यूँ जागता कौन है। साथ ग़ुरबत में तुमने दिया शुक्रिया वर्ना हमको यहाँ पूछता कौन है। मजहबो को तो सब मानते है यहाँ मजहबों की यहाँ मानता कौन है। हम …
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