मुरादाबाद : स्वयंसेवी संस्था स्नेह से संवरी 309 महिलाओं की किस्मत, परिवार की कर रहीं आर्थिक मदद

मुरादाबाद : स्वयंसेवी संस्था स्नेह से संवरी 309 महिलाओं की किस्मत, परिवार की कर रहीं आर्थिक मदद

मुरादाबाद,अमृत विचार। स्वयंसेवी संस्था स्नेह के जरिए शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की 309 महिलाएं अपनी किस्मत संवार रही हैं। इससे इन महिलाओं व बेटियों के हाथों को हुनर मिला है, वहीं दूसरी ओर परिवार की आर्थिक मदद भी हुई है। इनके आने-जाने का 60 प्रतिशत किराया भी संस्था ही वहन करती है। स्नेह …

मुरादाबाद,अमृत विचार। स्वयंसेवी संस्था स्नेह के जरिए शहर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की 309 महिलाएं अपनी किस्मत संवार रही हैं। इससे इन महिलाओं व बेटियों के हाथों को हुनर मिला है, वहीं दूसरी ओर परिवार की आर्थिक मदद भी हुई है। इनके आने-जाने का 60 प्रतिशत किराया भी संस्था ही वहन करती है। स्नेह से जुड़कर बेटियां अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन कर रही हैं। संसाधनों के अभाव में अपनी किस्मत संवार रही ये बेटियां किसी नजीर से कम नहीं हैं।

अपने नाम के अनुरूप इस संस्था ने गांव बैरमपुर निवासी कंचन को इतना स्नेह दिया कि वह दो साल से यहां काम कर रही है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कंचन इस संस्था से जुड़ीं। पिता राजेश कुमार किसान हैं और मां मिथलेश गृहिणी। एक भाई प्रिंस है। थोड़ी सी जमीन है जिस पर पिता खेतीबाड़ी करते हैं। इससे इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि दो बच्चों की पढ़ाई हो सके। भाई प्रिंस की पढ़ाई हो सके इसलिए कंचन ने इंटर के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी। घर पर सिलाई करके परिवार की मदद करने लगी। बताया कि स्नेह की कोआर्डिनेटर मधु चौधरी के जरिए दो साल पूर्व इस संस्था से जुड़ गई।

इस बीच पता चला कि उसके दिल में सुराख है। मगर इसके बावजूद कंचन ने हिम्मत नहीं हारी। वह एम्ब्रेडिंग का काम करके परिवार की आर्थिक मदद करती है। साथ ही अपनी दवा के लिए उसे किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ता। कंचन उन युवतियों के लिए प्रेरणा है जो आर्थिक या शारीरिक कमजोरी के कारण आगे नहीं बढ़ पातीं।

‘309 महिलाएं व बेटियां अपनी तकदीर संवार रही’
अभावों में जी रही महिलाओं और बेटियों को स्वावलंबी बनाने के लिए शिखा गुप्ता ने स्वयंसेवी संस्था स्नेह का गठन किया। कड़ी-कड़ी जोड़ते हुए उन्होंने इस संस्था से बेटियों और महिलाओं को जोड़ना शुरू किया। आज स्नेह में 309 महिलाएं व बेटियां अपनी तकदीर संवार रही हैं। शिखा गुप्ता सभी का अपने परिवार की तरह ध्यान रखती हैं। साल में एक बार उन्हें घुमाने के लिए बाहर भी ले जाती हैं। उनकी हर जरूरत का पूरा ख्याल रखती हैं। सीएल गुप्ता फार्म हाउस तक आने-जाने का 60 प्रतिशत किराया वह खुद वहन करती हैं। इसके लिए उन्होंने दो बसें, एक क्रूजर और दो ऑटो लगाए हुए हैं। दिव्यांग महिलाएं भी उनके साथ जुड़ी हुई हैं। संस्था से जुड़ी सभी महिलाएं व बेटियां शिखा गुप्ता को अपना आदर्श और प्रेरणास्रोत मानती हैं।

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