मुरादाबाद : ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स को भटक रहे लोग, संकट में मरीजों की जान

मुरादाबाद : ब्लड बैंक में प्लेटलेट्स को भटक रहे लोग, संकट में मरीजों की जान

मुरादाबाद,अमृत विचार। जिले में डेंगू व मलेरिया के गंभीर मरीजों के लिए प्लेटलेट्स न मिलने से जान पर बन रही है। सरकारी ब्लड बैंक में न तो रेयर समूह के रक्त हैं और न प्लेटलेट्स उपलब्ध है। जिला अस्पताल के रक्तकोष में जंबो पैक बनाने के लिए मशीन ही नहीं है। सामान्य प्लेटलेट्स के पैक …

मुरादाबाद,अमृत विचार। जिले में डेंगू व मलेरिया के गंभीर मरीजों के लिए प्लेटलेट्स न मिलने से जान पर बन रही है। सरकारी ब्लड बैंक में न तो रेयर समूह के रक्त हैं और न प्लेटलेट्स उपलब्ध है। जिला अस्पताल के रक्तकोष में जंबो पैक बनाने के लिए मशीन ही नहीं है। सामान्य प्लेटलेट्स के पैक भी यहां नदारद हैं। जिससे मरीजों की जान पर संकट गहराने पर परिवार के लोग निजी ब्लड बैंक में जेब खाली करने को मजबूर हैं।

चिंताजनक

  • जिला अस्पताल के रक्तकोष में नहीं है जंबो पैक की मशीन
  • बी पॉजिटिव सहित अन्य कई ग्रुप के प्लेटलेट्स के न होने से तीमारदार हो रहे परेशान
  • जिले में 100 से अधिक डेंगू रोगी सरकारी आंकड़े में करा रहे इलाज निजी स्तर पर संख्या और अधिक

1000 यूनिट की क्षमता वाले जिला अस्पताल का ब्लड बैंक मरीजों को जरूरत पर न तो खून उपलब्ध करा पा रहा है और न इस समय डेंगू के गंभीर रोगियों को प्लेटलेट्स। 24 घंटे संचालित इस रक्तकोष में मरीज आकस्मिक स्थिति में खून और प्लेटलेट्स के लिए भटक रहे हैं। ब्लड बैंक के प्रभारी भी मरीजों की मदद को गंभीरता नहीं दिखाते हैं। वह कर्मचारियों के भरोसे इसका संचालन कराते हैं।

कर्मचारियों के व्यवहार से मरीज और उनके परिवार वाले निराश होकर लौटते हैं। यहां थैलेसीमिया मरीजों को भी खून के लिए दौड़ाया जा रहा है। आए दिन रक्त की जरूरत पूरी न होने पर ऐसे मरीजों की जान खतरे में रहती है। डेंगू के गंभीर मरीजों को सरकारी ब्लड बैंक से मदद न मिलने से वह निजी ब्लड बैंक में जाकर प्लेटलेट्स और जंबो पैक के लिए मोटी रकम देने की मजबूरी है। निजी ब्लड बैंक के संचालक उनकी मजबूरी का खूब लाभ लेकर मोटी रकम ऐंठ रहे हैं। शहर के एक मोहल्ले के मरीज इमरान के परिवार के लोग मंगलवार की रात बी पाजिटिव रक्त ग्रुप के प्लेटलेट्स के लिए ब्लड बैंक पहुंचे तो उपलब्ध न होने की बात कर कर्मचारियों ने लौटा दिया।

वहीं थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे के पिता कांठ निवासी नईम अहमद, इंतजार, मोहम्मद फैजी का कहना है कि उन्हें अपने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के रक्त के लिए हर महीने ब्लड बैंक से टरकाया जाता है। जबकि सरकार की तरफ से बिना डोनर के ही ऐसे मरीज को रक्त देने का नियम है। लेकिन, जिला अस्पताल में हर महीने कर्मचारियों के रुखे व्यवहार और उल्टे जवाब सुनने की मजबूरी है।

जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में जंबो पैक प्लेटलेट्स बनने की मशीन न होने की बात तो अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एनके गुप्ता कर रहे हैं। लेकिन, जो सुविधा है उसका भी फायदा मरीजों को समुचित तरीके से क्यों नहीं मिल पा रहा है उस पर वह चुप्पी साध लेते हैं। उनका कहना है कि रक्तदान करने के लिए सामान्यतया लोग आगे नहीं आते हैं। इससे रक्त भंडारण में दिक्कत होती है। स्वैच्छिक रक्तदाताओं को समय-समय पर इसके लिए प्रेरित किया जाता है।

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